नाराज विश्व हिंदू परिषद को मिल सकता है आरएसएस का साथ
प्रवीण तोगड़िया रो पड़े। विश्व हिंदू परिषद का सबसे बड़ा नेता हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात में रो रहा है। राम मंदिर आंदोलन का जन्मदाता उस दौर में रो रहा है जब राम मंदिर के पैरोकारों की सरकार है। विश्व हिंदू परिषद का नेता भारतीय जनता पार्टी की हकूमत में आवाज दबाने की साजिशों पर से पर्दे हटा रहा है। कभी गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रवीण तोगड़िया तब रो रहे हैं जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है। तो ये घटना मामूली नहीं हो सकती। तो क्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की राहें अब जुदा होने वाली हैं ? क्या संघ और संगठन एक-दूसरे से अलग होने की बेचैनी महसूस करने लगे हैं ? इन सवालों के जवाब खोजने से पहले कुछ घटनाओं को याद करना जरूरी है।
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तकरीबन ढाई साल पहले प्रवीण तोगड़िया ने कहा था कि मौजूदा दौर में देश में हिंदुओं की हालत बेहद खराब है। तोगड़िया ने तो ये तक कह दिया था कि मोदी सरकार के रवैये पर उन्हें रोना आता है। इस बयान के ढाई साल बाद तोड़िया रोए। रोए तो हिंदुत्व का राग भी अलापा और आवाज दबाने की कोशिशों के आरोप भी जड़ दिए। विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया  ने अपनी किताब "सैफरॉन रिफ्लेक्शन-फेसेस एंड मास्क्स" में बीजेपी की दोहरी राजनीति का खुलासा करने का दावा भी किया है।
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अब हाल में हुई कुछ और घटनाओं का जिक्र भी जरूरी है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने दिल्ली में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े मजदूर संगठन ने भी मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन किया। यही दो संगठन नहीं, संघ परिवार की कई आनुषांगिक इकाइयां मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोले हुई हैं। संघ परिवार से जुड़े इन संगठनों के विरोध को सरकार ने कभी तवज्जो नहीं दिया। इससे संघ परिवार बेहद खफा है। हाल ही में संघ और बीजेपी की दो दिवसीय समन्वय बैठक में भी संघ की नाराजगी सामने आई थी।
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हाल ही में ये बात भी सामने आई कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अब खुद को राजनैतिक संगठन में तब्दील करने की तैयारी में है। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। उनकी नाराजगी भी संघ परिवार के लिए गंभीर मसला है। संघ परिवार के आनुषांगिक संगठनों की सरकार के जरिए उपेक्षा भी संघ परिवार के लिए मायने रखती है। और फिर विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की जुगलबंदी भी बेहद महत्वपूर्ण है।
तो क्या वाकई भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही मोर्चा बना रहा है ? उम्मीद कीजिए इस सवाल का जवाब जल्दी ही आपके सामने होगा।