Thursday, April 18, 2019

जिसका जवान बेटा मरा वो भी राष्ट्रवादी है

जेट एयरवेज के कैप्टेन अमित राय से मिलिए और उनके गहरे सदमे को समझने की कोशिश कीजिए। जेट एयरवेज के बंद होने से 20 हजार से ज्यादा लोग अचानक सड़कों पर आ गए हैं। अमित राय भी उनमें शामिल हैं। आसमान से धाराशायी हुए इन लोगों के पास कई यादें हैं। अमित राय के पास जो याद है वो कलेजा दहलाने वाली है। कुछ दिनों पहले अमित राय जब दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रहे थे तभी उनके ह्वाट्स ऐप पर एक मैसेज आया। मैसेज जेट एयरवेज के एक एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर का था। इंजीनियर ने एप्लास्टिक एनीमिया से जूझ रहे अपने बेटे के इलाज के लिए अपने तमाम सहयोगियों से मदद मांगी थी। जेट एयरवेज के ज्यादातर कर्मचारियों की आर्थिक हालत बेहद खराब थी और कोई भी मदद की स्थिति में नहीं था। वक्त पर पैसों का इंतजाम नहीं हो सका और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर के बेटे की मौत हो गई। मौत तो अब जेट एयरवेज की भी हो गई। 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों का घर-परिवार अब कैसी मुश्किलों में होगा ये मुझे नहीं पता लेकिन, जिस पिता ने पैसों के अभाव में अपने बेटे को तिल-तिल मरता देखा है उस पिता के दर्द को तो हम और आप महसूस कर ही सकते हैं। 
विपत्तियों का जो पहाड़ अचानक इन परिवारों पर टूटा है उसके पीछे हमारी-आपकी चुप्पी भी जिम्मेदार है। 8 नवंबर 2016 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया। दावा किया गया कि नोटबंदी से आतंकवाद की कमर टूट जाएगी। अमीरों का कालाधन निकलेगा और गरीबों के पास पहुंचेगा। और भी कई दावे थे। बाद के दिनों में ये साफ दिखा कि आतंकवाद और बेलगाम हुआ, अमीर और अमीर हुए, गरीब और गरीब हुए। दावे तो खोखले थे लेकिन उन दावों में हमे-आपको भी बहुत खोखला किया। सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट (CSE) द्वारा मंगलवार को जारी ‘State of Working India 2019' रिपोर्ट में यह कहा गया है कि साल 2016 से 2018 के बीच करीब 50 लाख पुरुषों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। नोटबंदी के दौरान बेरोजगार हुए ये लोग किसी एयरक्राफ्ट में इंजीनियर नहीं थे। जब एयरक्राफ्ट के मेंटेनेंस इंजीनियर के पास बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं जुट पाए तो फिर छोटी-मोटी तनख्वाह या दिहाड़ी वाले इन 50 लाख लोगों के परिवार अब किन हालात में होंगे जब इनकी आय का वो जरिया भी एक सनकी फैसले ने छीन लिया। उम्मीद है आप फर्जी नारों को किनारे लगा कर असली मर्म समझने की कोशिश करेंगे। आज से पांच साल पहले तक BSNL और भारतीय डाक विभाग की नौकरी को बेहद अच्छी नौकरी माना जाता है। पिछले पांच सालों में ये हालत हो गई कि BSNL के पास अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं और भारतीय डाक विभाग बर्बाद हो चुका है। अब इन दोनों विभागों से कई हजार या फिर कई लाख लोग जबरन निकाल दिए जाएंगे। नौकरी से निकाले जाने के बाद इनमें कौन क्या करेगा हम नहीं जानते लेकिन इनलोगों के खुशहाल परिवारों पर मुश्किलों का पहाड़ टूटना तय है। राष्ट्र के लोगों को बदहाल-बेहाल-कंगाल करने वाले लोग जिस राष्ट्रवाद की बात कर रहे हैं दरअसल वो सोच ही फर्जी है। इन नकली राष्ट्रवादी नारों के जरिए सिसकियों का शोर दबाया जा रहा है। राष्ट्रवाद का मतलब राष्ट्र को खुशहाल बनाना होता है बदहाल बनाना नहीं। कैप्टेन अमित राय का मोबाइल फोन, कैप्टेन अमित राय के आंसू और कैप्टेन अमित राय के दर्द अपने साथ काम करने वाले एक सहयोगी के लिए उमड़-उभर रहे हैं। नोटबंदी के दौरान बेरोजगार हुए 50 लाख लोग, जेट एयरवेज के बंद होने से बेरोजगार हुए 20 हजार लोग, BSNL को संकट में डालकर और भारतीय डाक विभाग को बर्बाद कर जिन लोगों को बेरोजगार करने की तैयारी है उनमें भले ही हम और आप शामिल नहीं हैं लेकिन हम इस बात की गांरटी नहीं दे सकते कि जिस रोजगार से हम जुड़े हैं कल उस रोजगार के सामने संकट नहीं होगा। हमारे सामने उस एयक्राफ्ट इंजीनियर की कहानी तो है जिसके बेटे की मौत पैसों के अभाव में हो गई लेकिन, उन 50 लाख लोगों की कहानी हमारे पास नहीं है जो नोटबंदी की वजह से बेरोजगार हुए। संभव है इनमें से कई लोगों के पास कैप्टेन अमित राय से ज्यादा गहरे सदमे हों। अब ये आपको तय करना है कि आप फर्जी राष्ट्रवाद गढ़ने वाली उस भीड़ की जीत का जश्न मना रहे हैं जिस भीड़ ने लाखों जिंदगियों को गहरे सदमे दिए हैं या फिर उन लोगों के साथ खड़े हैं जो इस वक्त मुश्किल हालातों से जूझ रहे हैं।

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...