Saturday, August 11, 2018

बीजेपी: मेरठ के मंतर से राजनीति का जंतर


नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस की रिपोर्ट आने के बाद बेहद चालाकी से ये मान्यता स्थापित की जा रही है कि आसाम में बांग्लादेशी घुसपैठिए सिर्फ और सिर्फ मुसलमान हैं। इस मान्यता को स्थापित करने के पीछे खास सियासी सोच है। जबकि सच ये है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों में बड़ी तादाद हिंदुओं की भी है। और ये महज संयोग नहीं है कि उत्तर प्रदेश के मेरठ में जिस दिन भारतीय जनता पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक का पहला दिन रहा ठीक उसी दिन पश्चिम बंगाल में एक बड़ी रैली के जरिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह NRC को ही मुद्दा बनाते दिखे। ये भी महज संयोग नहीं है कि बीजेपी ने सम्मेलन स्थल का नाम मातादीन वाल्मीकि रखा है। तो फिर इन बातों का मेरठ की राज्य कार्यकारिणी से क्या लेना-देना ?
      दरअसल राजनीति की चाल सीधी नहीं होती। आड़ी-टेढ़ी ये चाल आपको पता ही नहीं लगने देती कि प्यादे को आगे कर वजीर किसको निशाने पर लेगा। लिहाजा मेरठ की बैठक की पीछे वाली सियासी सोच की पड़ताल ज़रूरी है।
     यूपी का मेरठ मंडल राजनीति की बेहद उर्वरा ज़मीन है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति की बयार मेरठ से ही निकलती रही है। देश को एक प्रधानमंत्री और राज्य को कई मुख्यमंत्री देने वाला ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश मुद्दों से ज्यादा जातीय समीकरण पर वोटिंग करता रहा है। यहां मुस्लिम-दलित और जाट-मुस्लिम समीकरण सत्ता का समीकरण तय करते रहे हैं। और इस सच को कोई नहीं नकार सकता कि ये समीकरण ही वो समीकरण थे जिसने सूबे में 2007 में बसपा की तो 2012 में सपा की सरकार बनवाई थी।
   भाजपा के लिए ये समीकरण किसी बड़ी चुनौती की तरह हैं। पश्चिमी यूपी के कैराना में हुए लोकसभा उपचुनाव और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की करारी हार ने पार्टी को आने वाले दिनों की मुश्किलों का एहसास करवा दिया है। जाहिर है भाजपा को पश्चिमी यूपी को साधने के लिए समीकरण गढ़ने होंगे। तो फिर मेरठ सम्मेलन को भाजपा की इसी तैयारी से जोड़ कर देखा जा सकता है। क्योंकि भाजपा के सामने नए समीकरण के गठन की चुनौती है। पश्चिमी यूपी में बड़ी तादाद में ऐसी विधानसभा सीट हैं जहां मुस्‍लिम वोटर की तादाद 25 हजार से लेकर 60 हजार तक है। ग्रामीण क्षेत्रों से ज्‍यादा मुस्‍लिम वोटर शहरी क्षेत्र में हैं। सिर्फ 2007 के चुनावों पर निगाह डालें तो मेरठ, आगरा और अलीगढ़ की सभी शहरी सीटों पर मुस्‍लिम उम्‍मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
 बीजेपी को मालूम है कि मुस्लिम वोट को रिझाने के खतरे बड़े हैं। पार्टी को मुस्लिम वोट मिलने की संभावना बेहद कम है और मुस्लिम वोट को रिझाने की कोई भी कोशिश पार्टी के कोर हिंदू वोट को नाराज कर सकती है। लिहाजा भाजपा उस खतरे को मोलना ही नहीं चाहेगी। तो फिर नए समीकरण होंगे क्या ?
  भाजपा मेरठ सम्मेलन के जरिए जाट-दलित समीकरण गढ़ने की कवायद में है। प्रमोशन में आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बाद भाजपा दलित सियासत की बिसात पर खुल कर खेल रही है। पश्चिमी यूपी को दलित राजनीति की राजधानी भी कहते हैं। मुजफ्फरनगर-शामली दंगों के बाद जाट-मुस्लिम समीकरण बिखर चुका है। भाजपा जाटों के इस समीकरण को ही अपने समीकरण का हिस्सा बनाने की कवायद कर रही है। मतलब ये कि मेरठ से निकला सियासी मंत्र पश्चिम यूपी को दलित-जाट समीकरण की तरफ मोड़ने की पूरी कोशिश करेगा और NRC के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर हिंदुओं पर हो रहे कथित हमले के अप्रमाणिक किस्से उस समीकरण को गढ़ने में मददगार बनाए जाएंगे।


Monday, August 6, 2018

देवरिया से मुजफ्फरपुर तक दर्द तो एक ही है


उत्तर प्रदेश के देवरिया में 10 साल की लड़की ने लिजलिजी व्यवस्था को बेपर्द कर दिया है..शहर के मां विंध्यवासिनी शेल्टर होम में लड़कियों के शोषण पर पड़े सिस्टम के पर्दे को 10 साल की लड़की ने एक झटके में खींच दिया है..यहां बड़ी संख्या में लड़कियों का यौन शोषण हो रहा था...और तमाम सूचनाओं के बावजूद सिस्टम सो रहा था
   लक्ष्मी को पूजिए, दुर्गा को पूजिए, सरस्वती को पूजिए, पार्वती को पूजिए..पूजिए क्योंकि ये एक धर्मपारायण देश है...देवियों के पास धन का, शक्ति का, विद्या का आशीर्वाद है..इसलिए पूजिए... देवियों के देश में बेटियों की लूट मची है.. इस लूट पर खामोश मत रहिए..वरना आपकी देवियां आपको आशीर्वाद देने से कतराने लगेंगी

   इस दर्द को महसूस कीजिए, इन आंसुओं के समंदर में समाइए, इस हिम्मत का साथ दीजिए...वरना आपकी बेटियां आपको माफ नहीं करेंगी

    कल बिहार का मुजफ्फरपुर था...आप चुप रहे..क्योंकि आपको लगा कि वो दूसरे शहर का किस्सा है...आज यूपी का देवरिया है...कल कोई और शहर होगा..कुछ और बेटियां होंगी.. आपकी चुप्पी नहीं टूटी तो ये बेटियां कल किसी और का हिस्सा होंगी
    कल ये बेटी किसी और की बेटी हो सकती है..कल ये खबर किसी और परिवार का दर्द भी हो सकता है.. आपकी चुप्पी नहीं टूटी तो खामोशी का अंधेरा कल आपमें से किसी के भी घर को अपने आगोश में ले सकता है..

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...