शहादत के नाम पर वोट मांगा जाएगा लेकिन सेना को हथियार नहीं दिए जाएंगे। चुनावी गाली-गलौज के बीच शहादत और सेना के सम्मान का जिक्र भी बार-बार हो रहा है। सरकार और सरकारी तंत्र के पास शोर मचाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता बचा भी नहीं है। क्योंकि, शोर नहीं मचा तो सच्ची बातें भी सुनाई देने लगेंगी। कई सच्ची बातों को दबाने वाले इसी शोर के बीच जो हजारों ज़रूरी बातें दब गईं हैं उन्हीं में शामिल है सेना को घटिया गोला-बारूद सप्लाई करने का मामला। सेना ने 15 पेज का एक खत रक्षा मंत्रालय में तैनात रक्षा उत्पाद सचिव अजय कुमार को लिखा है। सेना ने इस खत के जरिए घटिया गोला-बारूद और युद्ध उपकरणों से हो रहे नुकसान का जिक्र किया है और मंत्रालय को चेताया भी है। सेना ने साफ लिखा है कि घटिया गोला-बारूदों और रक्षा उपकरणों के कारण जवानों की जान जा रही है। और मैं ये लिख रहा हूं कि जवानों की जान जाने पर मौजूदा केंद्र सरकार को शहादत वाली सियासत करने का मौका मिल रहा है।
सेना की चिट्ठी से ये साफ होता है कि केंद्र
सरकार के स्वामित्व वाले ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड में भारी घोटाला हो रहा है और
देश को छद्म राष्ट्रवाद के नारों में उलझा कर गड़बड़झाले को दबाया जा रहा है।
क्योंकि भारतीय सेना को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के जरिए ही टैंक, तोप, एयर
डिफेंस गन समेत बाकी कई रक्षा उपकरण मिलते हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के पास गोला-बारूद
बनाने की 41 फैक्ट्री हैं। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का सालाना टर्न ओवर 19 हजार
करोड़ रुपए का है। सालाना 19 हजार करोड़ टर्नओवर वाला ये बोर्ड सेना को घटिया गोला-बारूद
सप्लाई कर जवानों की हत्या तो करवा ही रहा है हजारों करोड़ रुपयों का गड़बड़झाला
भी कर रहा है। जवानों की शहादत पर राजनीति करने वाली सरकार इस गड़बड़झाले की जांच
करवाएगी इसमें संदेह है। लेकिन शहादत वाले सियासी शोर में जो सच दब गया है वो
चौकाने वाला है।
15 पेज के अपने पेपर
में सेना ने बेहद चौंकाने वाला सच सामने रखा है। इसमें बताया गया है कि 105 एमएम की इंडियन फील्ड गन, 105 एमएम लाइट फील्ड
गन, 130 एमएम एमए1 मीडियम गन,
40 एमएम एल-70 एयर डिफेंस गन और टी-72,
टी-90 और अर्जुन टैंक की तोपों के साथ
नियमित तौर पर जो दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं उसकी वजह घटिया
गोला-बारूद हैं। इतना ही नहीं
करगिल फतह करने वाले बोफोर्स तोप के लिए घटिया गोला-बारूदों की सप्लाई हो रही है।
सेना ने जो सबसे ज्यादा चौकाने वाली जानकारी दी है वो देश की सुरक्षा के लिए बहुत
बड़ा खतरा है। सेना ने अपनी चिट्ठी में बताया है कि घटिया गोला-बारूद और रक्षा
उपकरणों की सप्लाई की वजह से सेना ने लॉन्ग रेंज की कुछ फायरिंग रोक दी है।
देश की सुरक्षा के साथ ये अब तक की सबसे बड़ी
लापरवाही है। चुनावी मंचों पर नारों के लिए इस्तेमाल हो रही सेना ही ख़तरे में है।
ना तो ढंग का खाना, ना वक्त पर वर्दी-जूतों के पैसे और ना ही दुश्मनों से लड़ने के
लिए कारगर गोला-बारूद। क्योंकि राष्ट्रवादी नारों को जवानों की शहादत से ऊर्जा
मिलती है।