Monday, February 6, 2017

संघवाद के खिलाफ़

वो बता रहे हैं, वो क्या करेंगे किसी ने उनके खिलाफ बोला तो
बच्चों-बूढ़ों, मजलूमों की आवाज़ से डरे वो लोग जता रहे हैं कि वो निडर हैं
उन्हें मंजूर नहीं कोई भी दूसरी विचारधारा
उनकी विचारधारा की पौध के सूखने का डर है
उन्हें मालूम है बड़ी पोपली है उनकी ज़मीन
वो डरते हैं उनसे जिनके पेट खाली हैं
वो डरते हैं उनसे जिनकी ज़ुबान है
वो डरते हैं हक़ मांगती हर आवाज से
उन्हें चाहिए पाषाण शांति, पत्थर सा खड़ा देश
जो न चले, न बोले, न सुने, न तोले
वो जब चाहें छेनी-हथौड़ी से उसे तोड़ दें, फोड़ दें
इसीलिए इंसानों की हक़मारी कर वो पिलाते हैं पत्थरों को दूध
वो इंसानों को मानते हैं राष्ट्रीय जानवर, जानवर को मानते हैं राष्ट्रीय पशु

होरी की होली

होरी हारा पेट से, हल्कू खाली पेट
फाग तो है गांव में, फागुन खेते खेत
फाग-फाग हो गांव में जिनके घर में माल
सूखे-पिचके गाल पर का कर लिहें गुलाल
माल पूए की महक है दूर किसी के आंगन
होरी को आंगन नहीं, ना कहुं जात है मांगन
हल्कू की धोती में पड़ गई फिर नई है गांठ
जिनके घर हो मालपूआ वो मनाए फाग
हल्कू-होरी के लिए रंग लगे अब आग
खाली जेब वालों के लिए होली है दुख राग

भांट-चाकर

राजा के कई भांट-चाकर
करते हैं गुणगान जाकर
बख्शीष में अशर्फियां पा कर
ब्लैकमेलिंग के पैसे खा कर
जेल जा कर, रेल जा कर
ओहदा पा कर, तेल पा कर
झूठ, झमेले, भ्रम फैलाकर
करते हैं गुणगान जा कर
राजा के सब भांट-चाकर

होना पड़ता है

कुछ रूठा कुछ टूटा होना पड़ता है,
कुछ सच्चा कुछ झूठा होना पड़ता है
ये रोग मुहब्बत का कुछ होता ऐसा है
कुछ हंसना, कुछ पल खातिर रोना पड़ता है
पल-पल सदियों जैसा कुछ लगता रहता है
धड़कनों से दिल भी कुछ कहता रहता है
रिश्ता ये गल्ले का हिसाब नहीं होता
इश्क में कुछ पाना, कुछ खोना पड़ता है

कोहरा घना है

    कोहरा घना है
सूरज सांसें रोक रहा है
आसमान भी अनमना है
कोहरा घना है 
राहें ओझल-ओझल सी हैं
आहें बोझिल-बोझिल सी हैं
सिमट रहे अलाप मन के
कोहरा न जाने किसने जना है
कोहरा घना है
कोहरे में डूबे में दिग-दिगंत
इस कोहरे का आदि न अंत
सिमट रहे संबंध विस्तार
सच है, सच कहना मना है
कोहरा घना है

आपकी बात

     
लोकतंत्र है ये अपना जनतंत्र है
खास आदमी से आम तक स्वतंत्र है
देश आम आदमी का बचा नहीं
सत्ता आम आदमी ने रचा नहीं
खास लोग, खास पूंजीतंत्र गढ़ रहे
लोकतंत्र को हवेलियों में मढ़ रहे
आओ देश को बचाने की बात हो
लोकतंत्र आम आदमी के हाथ हो
आम आदमी की बात हो
आम आदमी के साथ हो
वीर हमीद की कुर्बानी की कसम
आज़ाद, भगत सिंह की रवानी की कसम
है वतन का नाज तो नाज सबका है
बापू के सपनों का स्वराज सबका है
अंबेडकर के आदर्शों का समाज हो
आम आदमी की बात हो
आम आदमी के साथ हो
लोहिया, लिमये हर दिल में बसें
चारु-कानू मिलकर अब समाज को रचें
मदर टेरेसा, बाबा आम्टे का देश है
संत विनोबा, जय प्रकाश का संदेश है
भूख-गरीबी फिर कल की बात हो
धाक हो हमारी और साख हो
आम आदमी की बात हो
आम आदमी के साथ हो

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...