इलाहाबाद में कुंभ के दौरान पहुंचने वाले आखाड़ों के संतों के लिए अब टैंट की
जगह इमारतें होंगी...बाबाओं का झुंड आराम से रहेगा.. देश की सबसे बड़ी पंचायत अभी
ये तय करने में जुटी है कि 1984 में सिख विरोधी दंगे मॉब लिंचिंग की पैमाइश में मौजूदा
मॉब लिंचिंग से बड़े हैं या छोटे…आम समाज सड़क दर सड़क चल रही मार-कुटाई और बिसहड़ा से अलवर
तक हो रही हत्याओं का धर्म तलाशने में बीजी है..लिहाजा झांसी से लेकर उन्नाव तक,
गाजियाबाद से लेकर गोरखपुर तक यूपी की लुटती आबरू की न तो किसी ने फिक्र की और ना
ही बेटियों, उनकी माओं, उनके पिता, उनके भाईयों का दर्द किसी ने साझा किया.. हलाला
पर गलाफाड़ू बहसों में उलझा हमारा सत्ता समाज अस्मत गवांती बेटियों की सिसकियों को
अपनी नाकामियों वाले गौगोबर में बेहद चालाकी दबाता जा रहा है..
सरकारों की आबरू ऊंची
इमारतों में महफूज होती है, नेताओं की आबरू सफेद कलफदार कपड़ों में इठलाती है,
पुलिस की आबरू खाकी में खनकती है....लेकिन आम आदमी की आबरू...न कोई पहरेदार, न कोई
मुहाफिज.. लखनऊ से सांसद और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय अपराध
नियंत्रण ब्यूरो के जो आंकड़े पेश किए थे वहीं आंकडे बता रहे हैं कि यूपी में
रोजाना 10 रेप की घटनाएं थानों तक पहुंचती हैं, 30 महिलाओं को अगवा किया जाता है
और बलात्कार की घटनाओं में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है.. ये आंकड़े सरकारी हैं..जबकि
सच ये है कि बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले ज्यादातर लोकल लेवल पर ही खत्म कर दिए
जाते हैं...कुछ मामले तो घरवाले ही लोकलाज की दहलीज में कैद कर लेते हैं
झांसी की चीख और कन्नौज की गैंगरेप
पीड़िता की सिसकियां आक्रोश पैदा करती हैं..उस सिस्टम के खिलाफ जिसकी जिम्मेदारी
हमें अपराध मुक्त समाज देना है...झांसी में दो एसपी हैं...अंदाजा लगाइए हमारी-आपकी
गाढ़ी कमाई का कितना पैसा वहां खर्च हो रहा है.. पुलिस की कमी का रोना रोने वाले
ये जानते हैं कि रुस के पास महज 11 लाख पुलिसकर्मी हैं, अमेरिका के पास 10 लाख.
जबकि भारत के पास 30 लाख पुलिसकर्मी हैं। रोजाना होती इन घटनाओं से पुलिस को नए
मुकदमे मिलते हैं, नए मुल्जिम मिलते हैं, नए गवाह और अज्ञात के नाम पर बहुत कुछ
करने के कई मौक़े....फिर जांच, पेशी, तारीखें, जेल, मेल-मिलाई और बिड़ी बंडल..पुलिस
के लिए ये प्रक्रिया कमाई का समंदर है....नेताओं को इन घटनाओं में जाति और मजहब का
एंगल मिलता है... पुरानी सरकारों का रिकॉर्ड तोड़ने का गौरव भी... लेकिन हमको-आपको
मिलता है बइंतहां दर्द, लुटती बेटियों के सामने दिखती अपनी बेबसी, सिस्टम और
अपराधियों के बीच पिसने की लाचारी...वैसे खबर है कि लोकसभा में राहुल गांधी के आंख
मारने से संसद की अस्मत तार-तार हो गई है..नेताजी अपने हर भाषण में इसका जिक्र कर
रहे हैं... हमारी लुटती आबरू उनकी फिक्र के दायरे में नहीं समाती