Tuesday, July 24, 2018

हम बलात्कार का विश्वगुरु बनने निकले हैं


इलाहाबाद में कुंभ के दौरान पहुंचने वाले आखाड़ों के संतों के लिए अब टैंट की जगह इमारतें होंगी...बाबाओं का झुंड आराम से रहेगा.. देश की सबसे बड़ी पंचायत अभी ये तय करने में जुटी है कि 1984 में सिख विरोधी दंगे मॉब लिंचिंग की पैमाइश में मौजूदा मॉब लिंचिंग से बड़े हैं या छोटेआम समाज सड़क दर सड़क चल रही मार-कुटाई और बिसहड़ा से अलवर तक हो रही हत्याओं का धर्म तलाशने में बीजी है..लिहाजा झांसी से लेकर उन्नाव तक, गाजियाबाद से लेकर गोरखपुर तक यूपी की लुटती आबरू की न तो किसी ने फिक्र की और ना ही बेटियों, उनकी माओं, उनके पिता, उनके भाईयों का दर्द किसी ने साझा किया.. हलाला पर गलाफाड़ू बहसों में उलझा हमारा सत्ता समाज अस्मत गवांती बेटियों की सिसकियों को अपनी नाकामियों वाले गौगोबर में बेहद चालाकी दबाता जा रहा है..
         सरकारों की आबरू ऊंची इमारतों में महफूज होती है, नेताओं की आबरू सफेद कलफदार कपड़ों में इठलाती है, पुलिस की आबरू खाकी में खनकती है....लेकिन आम आदमी की आबरू...न कोई पहरेदार, न कोई मुहाफिज.. लखनऊ से सांसद और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो के जो आंकड़े पेश किए थे वहीं आंकडे बता रहे हैं कि यूपी में रोजाना 10 रेप की घटनाएं थानों तक पहुंचती हैं, 30 महिलाओं को अगवा किया जाता है और बलात्कार की घटनाओं में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है.. ये आंकड़े सरकारी हैं..जबकि सच ये है कि बलात्कार और छेड़छाड़ के मामले ज्यादातर लोकल लेवल पर ही खत्म कर दिए जाते हैं...कुछ मामले तो घरवाले ही लोकलाज की दहलीज में कैद कर लेते हैं
   झांसी की चीख और कन्नौज की गैंगरेप पीड़िता की सिसकियां आक्रोश पैदा करती हैं..उस सिस्टम के खिलाफ जिसकी जिम्मेदारी हमें अपराध मुक्त समाज देना है...झांसी में दो एसपी हैं...अंदाजा लगाइए हमारी-आपकी गाढ़ी कमाई का कितना पैसा वहां खर्च हो रहा है.. पुलिस की कमी का रोना रोने वाले ये जानते हैं कि रुस के पास महज 11 लाख पुलिसकर्मी हैं, अमेरिका के पास 10 लाख. जबकि भारत के पास 30 लाख पुलिसकर्मी हैं। रोजाना होती इन घटनाओं से पुलिस को नए मुकदमे मिलते हैं, नए मुल्जिम मिलते हैं, नए गवाह और अज्ञात के नाम पर बहुत कुछ करने के कई मौक़े....फिर जांच, पेशी, तारीखें, जेल, मेल-मिलाई और बिड़ी बंडल..पुलिस के लिए ये प्रक्रिया कमाई का समंदर है....नेताओं को इन घटनाओं में जाति और मजहब का एंगल मिलता है... पुरानी सरकारों का रिकॉर्ड तोड़ने का गौरव भी... लेकिन हमको-आपको मिलता है बइंतहां दर्द, लुटती बेटियों के सामने दिखती अपनी बेबसी, सिस्टम और अपराधियों के बीच पिसने की लाचारी...वैसे खबर है कि लोकसभा में राहुल गांधी के आंख मारने से संसद की अस्मत तार-तार हो गई है..नेताजी अपने हर भाषण में इसका जिक्र कर रहे हैं... हमारी लुटती आबरू उनकी फिक्र के दायरे में नहीं समाती
   


Monday, July 23, 2018

साक्षी महाराज के बिगड़े बोल: शरिया मांगने वाले जाएं पाकिस्तान


भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ...सब्र कर...रोजगार नहीं तो सब्र कर, व्यापार नहीं तो सब्र कर, अस्पताल नहीं तो सब्र कर, स्कूल नहीं तो सब्र कर, घर-बार नहीं तो सब्र कर, सुरक्षा नहीं तो सब्र कर, सब्र कर क्योंकि आज़ाद हिंदुस्तान ने अवाम को सब्र सिखाया है.. गर आवाज उठा दी तो शहरी नक्सली बताया हैभूख से तनी मुट्ठियों को नक्सलबाड़ी बताया है...कभी जाति के नाम पर कभी धर्म के नाम पर हमें आपस में लड़वाया है...
       विधि ने जब अदालतें दीं हैं तो फिर शरई अदालतों की मांग क्यों...ये सवाल है तो इस सवाल का जवाब हुकूमत को देना है.. हुकूमत का जवाब है पाकिस्तान चले जाओ..हिंदुस्तान की हर मुश्किल का हल पाकिस्तान ही है क्या.. सियासत को हिंदुस्तान के कई सवालों का जवाब पाकिस्तान ही क्यों लगता है...सवाल ये भी हैं...सवाल ये भी कि क्या ये हुकूमत का काम नहीं कि वो अपनी जनता के सवालों के जवाब ढूंढे.. वो ये बताए कि आखिर संघीय ढांचे के भीतर बार-बार इस किस्म की मांग क्यों उठती है...या हकूमत की ये जिम्मेदारी नहीं है कि वो इस किस्म की डिमांड के पीछे की वजहों को खत्म करे...कभी गिरिराज कभी, कभी साक्षी, और कभी कोई ये बोल जाता है कि फलां पाकिस्तान चले जाएं...पूछिए इनसे कि हिंद की संतान पाकिस्तान क्यों जाए..
     जम्हूरित में अवाम को पूरा अधिकार है कि वो अपनी सरकार से अपनी सुविधाओं की मांग करे...और सरकार की जिम्मेदारी है कि वो अपनी अवाम की जायज मांगों को पूरी करने की कोशिश करे...जो मांगें जायज नहीं हों उन्हें जनता के बीच लाकर जनता को कंन्विंस करे.. लेकिन ये जवाब कि अलां पाकिस्तान चले जाएं, फलां पाकिस्तान चले जाएं लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला नहीं तो क्या है..तो फिर पूछिए इनसे कि ये होते कौन हैं हमें कहने वाले कि पाकिस्तान चले जाओ

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...