Friday, January 29, 2021

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था माइनस 9.6 से नीचे रह सकती है। मूडीज के अनुमानों के मुताबिक तो इस वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था माइनस 10.6 फीसदी से नीचे रह सकती है। 2020 के पहली तिमाही में ग्रोथ रेट माइनस के गर्त में डूबकर माइनस 23.9 फीसदी पर पहुंचा और दूसरी तिमाही में फिर माइनस 7.5 की गिरावट ने अर्थव्यवस्था को उस अंधेरी सुरंग में पहुंचा दिया जिसमें रौशनी के लिए कोई छेद ही नहीं है। देश का अगला बजट इसी सुरंग में तैयार होना है इसीलिए प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि ये बेहद अहम होगा। 

    राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी NSO ने 2020-21 के लिए जो एडवांस एस्टिमेट जारी किया है उसके मुताबिक देश के सभी सेक्टर की ग्रोथ रिपोर्ट निगेटिव में पहुंच गई है। सिर्फ कृषि ऐसा सेक्टर रहा जिसने अपने दम पर देश की अर्थव्यवस्था को कंगाल होने से बचा लिया। आगे भी किसानी ही देश के बचाती दिख रही है। 

   NSO का एडवांस एस्टिमेट बता रहा है कि नए वित्तीय वर्ष में मैनुफैक्चिरिंग सेक्टर भारी गिरावट के संकट से जूझेगा। मैनुफैक्चरिंग सेक्टर का आकार कम से कम 9.4 फीसदी घटेगा। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में तो भारी तबाही का अनुमान है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर का आकार छोटा होगा और कम से कम 12.6 फीसदी छोटा होगा। ट्रेड, होटल, कम्यूनिकोश्न और ट्रांसपोर्ट सेक्टर अब तक के सबसे बुरे दौर में पहुंच सकते हैं। इनमें 21 फीसदी के डाउन साइजिंग का अनुमान है। 

    देश की आर्थिक गतविधियां इतनी सुस्त इससे पहले कभी नहीं रहीं जितनी सुस्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है। नए वित्तीय वर्ष में ग्रौस एडेड वैल्यू (GVA) में ऐतिहासित गिरावट का अनुमान है। NSO का अनुमान है कि GVA में 7.2 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। GVA से ही ये पता चलता है कि किसी सेक्टर की आर्थिक गतिविधियों से GDP को क्या मिला।  

   अर्थव्यवस्था के गर्त में पहुंचने का ठीकरा जो लोग कोरोना पर फोड़ रहे हैं उन लोगों ने या तो NSO, वर्ल्ड बैंक, मुडीज और SBI की वो रिपोर्ट्स नहीं पढ़ी है जो देश की वास्तविक अर्थिक स्थिति पर आधारित हैं या फिर जानबूझकर किसी वजह से झूठ बोल रहे हैं। इसमें कोरोना महामारी की भूमिका है तो जरूर लेकिन बहुत बड़ी नहीं है।  

       देश की अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा झटका मोदी सरकार की नोटबंदी से लगा। 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की। इसके पांच महीने बाद मार्च 2017 आते-आते देश के मैनुफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, होटल, ट्रेड और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भारी गिरावट सामने आई। तब से अब तक ये सेक्टर गिरावट का दंश झेल रहे हैं। बड़े पैमाने पर छोटे-मोटे कारोबार भी ध्वस्त हुए। सरकार ने इनको बचाने की न तो कोई नीति बनाई और ना ही राहत के उपायों पर चर्चा की। 

   इसके बाद देश की अर्थव्यवस्था को दूसरा बड़ा झटक लगा है बैंकों की बर्बादी से। पिछले 6 सालों में बैकों के 46 लाख करोड़ रुपये डूब गए। इसी दौरान 875 हजार करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ हुआ। सितंबर 2019 में जब महाराष्ट्र के PMC बैंक के सामने बैक के खाताधारी रो-बिलख रहे थे तभी ये साफ हो गया था कि बैंकों की बर्बादी का दौर शुरू हो गया है। नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में पैदा हुई सुस्ती की मार बैंकों पर ऐसी पड़ी कि बैंकिंग का आधार ही कमजोर हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की एनुअल स्टैटिकल रिपोर्ट बताती है कि मोदी सरकार में 175% की दर से NPA बढ़ा है। यही रिपोर्ट ये भी बताती है कि मोदी सरकार में NPA बढ़कर 9 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। सरकार ने अनिल अंबानी को राहत देने के लिए जो लोन माफ किया वो भी आपका पैसा था। नीरव मोदी और माल्या जैसे लोग भी आपके पैसे हड़प कर दूसरे देशों में मौज कर रहे हैं। RBI या सरकारें बैकों को जो रकम देती हैं वो पैसा आपका होता है।  

    रिजर्व बैंक के रिजर्व कोष का भी बड़ा हिस्सा सरकार पहले ही ले चुकी है। केंद्र सरकार के ऊपर अभी राज्यों की भी बड़ी देनदारी है। जीएसटी में जो राज्यों का हिस्सा है वो भी राज्यों को देना है। कोरोना के नाम पर रोका गया सरकारी कर्मचारियों के डीए का भुगतान भी सरकार को करना है। अलग-अलग सेक्टर में कोराना के नाम पर सैलरी में हुई कटौती के बाद बाजार में आई सुस्ती को भी खत्म करना है और असंगठित क्षेत्र जो कि लगभग कंगाल हो चुका है को भी नए सिरे से खड़ा करना है। 

  जाहिर है कि ये बजट देश के लिए बुत ही महत्वपूर्ण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी सरकार ने अपनी पिछली गलतियों से सीख ली होगी और बजट के संतुलन पर जोर दिया होगा। उम्मीद है कि इस बजट में मनी डंपिंग की जगह फ्लो ऑफ वेल्थ दिखेगा। पूरा देश ये देख चुका है कि पैसों के प्रवाह को रोकना घातक साबित हुआ है।

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...