Thursday, February 16, 2017

सत्ता


सत्ता तुम किस कदर
घृणास्पद होते गए..
किस कदर तुमने बदला
अपना रूप
विद्रूपताओं से जनमा, तुम्हारा अत्याचार
कहां-कहां नहीं बरपा....
तुम्हारे लिए सब
गिराते रहे मंदिरों को, मस्जिदों को
करवाते रहे दंगे लूटते रहे अस्मत....
और तुम....
हंसते रहे विवश होकर......

सत्ता सच बताना..
विद्रूपताओं पर अट्ट्हास करना
विरुपता का परिचायक नहीं क्या..
क्या कुछ और होता है
हिंस्र जानवर होना.....

सत्ता क्या ये सच नहीं
तुम एक मात्र कारण हो
अब तक के समस्त संघर्षों का...
तुम्हारे लिए ही क्या नहीं हुई
दुनिया की सारी जघन्यतम नरसंहारें.....
सत्ता तुम देखना
एक दिन तुम हो जाओगे इतने भयावह
कि लोग चाहेंगे मुक्ती तुमसे
चाहेंगे उपर उठना तुमसे भी
फिर टूटेगा तुम्हारा दर्प,
फिर टूटेगा तुम्हारा अहम
और मिट कर रह जाएगा तुम्हारा अस्तित्व

वक्त का तकाजा


वक़्त का तक़ाज़ा है, चलना ही पड़ेगा
जो नाग फन लहरा रहे, कुचलना ही पड़ेगा
न्याय की देवी, अब गुमान मत कर
तेरी आंखों की पट्टी को अब उतरना ही पड़ेगा

संसद के सत्ताधीश, कुनबों के मठाधीश
चाल-चरित्र, चेहरा बदलना ही पड़ेगा
हर रोटी की गोटी, जो हैं सेट कर रहे
मुर्दों की भांति उन्हें जलना ही पड़ेगा

हर वोट के लिए नोट, हर जन के लिए धन
संभलो ईमान को बदलना ही पड़ेगा
फूंक डालो महापंचायत को, आग लगा दो
एक रोटी का जुगाड़ जो कर नहीं पाया
उस पूरे सिस्टम को निगलना ही पड़ेगा

उठो गाण्डीव संभाल लो, हे भारत के लाड़लों
कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अब लड़ना ही पड़ेगा
वक्त का तकाजा है, चलना ही पड़ेगा
जो नाग फन लहरा रहे, कुचलना ही पड़ेगा

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...