Wednesday, November 16, 2016

ये रुदन काल है

                                                          ये रुदन काल है....
जिस जम्हूरियत में प्रश्नकाल से हुकूमत को परेशानी महसूस होती है..वहां रुदनकाल ही आता है...तो ये रुदनकाल है....इस काल में रोना पड़ता है...राजा को भी, रियाया को भी...रियाया का रोना तबतक रोना भर रहता है जबतक कि इससे हुकूमत की ज़मीन पर असर न हो....लेकिन जैसे ही हुकूमत की ज़मीन गिली होने लगती है...हुक्काम को सिंहासन के धंसने का ख़तरा महसूस होने लगता है...और फिर हुक्काम भी रोने लगता है..वो रोता है... इसलिए रोता है कि जनता खुद रो-धोकर ग़म पी लेना अपना नसीब समझती है..लेकिन वो अपने राजा को रोता नहीं देख सकती... सो राजा के रोते ही जनता भकुआ जाती है...राजा के जयकारे लगते हैं...और धंसते सिंहासन को जनता का सहारा मिल जाता है....तो ये रुदन काल है... मंचों पर बादशाह सलामत की आंखों से बूंदें टपक रहीं हैं...
दिल्ली वाले सुल्तान रो रहे हैं...लखनऊ वाले उस्ताद रो रहे हैं...रो रहे हैं....क्योंकि ये रुदन काल है...इस काल में रोना अपनी कमियों को छुपाने का सबसे बेहतर हथियार है....इस काल में रोना भावुक जनता को भरमाने का सबसे बेहतर औजार है...ये रुदन काल है
इस काल में रोना पड़ता है....वो मां-बाप रो रहे हैं जिनके बच्चों की शादियां हजार-पांच सौ के नोट की चोट से जख्मी हो गईं.....वो बच्चा रो रहा है जिसकी मां हजार-पांच सौ के नोट की चोट से इलाज बिना अस्पताल में दम तोड़ गई...कोई एटीएम की लाइन में रो रहा है, कोई बैंक के बाहर रो रहा है...कोई बच्चे के दूध के लिए रो रहा है...कोई भक्क सफेद कुर्ते के नीचे दबाए गए काले धन के लिए रो रहा है...ये रुदन काल है।

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...