Sunday, December 23, 2018

ये कहने में भी डर लगता है कि डर लगता है

सिर पर पांव है कि पांव सिर पर कुछ पता ही नहीं चल रहा है। बस ये दिख रहा है कि प्रमोद काका गिरते-पड़ते दौड़े जा रहे हैं। चेहरे पर खौफ ऐसा जैसे कि मॉब लिंचर पीछे पड़े हों। बस भाग रहे हैं और उनके पीछे है घुटनी बाबा का सांड। घुटनी बाबा ने एक सांड पाल रखा है। पाल क्या रखा है छुट्टा छोड़ रखा है। पाला होता तो तिवारी टोले वाले मठ पर खूंटे से बांध कर रखते। चारा-पानी का इंतजाम करते। लेकिन ये सांड तो छुट्टा घूमता है। रबी की हरी फसलों का भोग लगाकर पहलवान बना फूंफकारता ये सांड प्रमोद काका के पीछे पड़ा है। प्रमोद काका भाग रहे हैं सांड फूंफकार रहा है।
अमवा मझार के इस सांड की चर्चा रामनगर बनकट, अहवर मझरिया, अहवर शेख और जौकटिया समेत आसपास के कई पंचायतों में है। सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार को अमवा मझार में बड़ा बाजार लगता है। आसपास के गई पंचायतों के लोग इस बाजार में आते हैं। बाजार आने वाले रास्ते के दोनों तरफ खेत में रबी की फसल है और यही फसल घुटनी बाबा के इस सांड का प्रसाद है। फसली भोग लगाने वाले सांड को कभी-कभार इंसानों से परेशानी होने लगती है। और जब वो परेशान है तो उस इंसान की एक-दो हड्डियों को दो-चार हड्डियों में बदल देता है। लिहाजा बाजार आने-जाने वाले लोग अब झोले के साथ लाठी लेकर भी चलने लगे हैं। लाठी भी तब ही काम आ रही है जब लोग झुंड में हों और लाठी दिखाकर भागने की पूरी क्षमता रखते हों क्योंकि, इस सांड को न तो लाठी मारी जा सकती है और ना ही धेला। नवका टोला वाले जहीर मास्टर ने खेत चरते इस सांड पर धेला चला दिया था तो बड़ा बवाल हो गया था। घुटनी चाचा वाली चीलम मंडली ने इसे हिंदुत्व पर खतरा बता दिया। फिर क्या था घेर लिए गए जहीर मास्टर अपने घर में ही। मार इतनी पड़ी कि इलाके के महान गणितज्ञ राजवंशी पटेल भी उसका हिसाब नहीं कर पाए। दोनों हाथों की हड्डियां टूटी सो अलग। तो फिर इस सांड को मारे कौन।
घुटनी बाबा का ये मरखाहा सांड हिंदू है। हिंदुत्व का प्रतीक है। हिंदू स्वाभिमान का जीता-जागता प्रमाण है। हिंदू अस्मिता की निशानी है। इसपर धेला फेंकते ही इलाके का हिंदुत्व खतरे में आ जाता है। जैसे कि सांड होना ही हिंदू होना हो और हिंदू होने का मतलब मरखाहा सांड होना।
तो घटना ये कि प्रमोद काका भागे जा रहे हैं और सांड उनको भगाए जा रहा है। पीछे से भीड़ चिल्ला रही है। कोई कह रहा है कि सीधे भागो, कोई कह रहा है कि खेत की तरफ भागो। प्रमोद काका पीछे मुड़कर देख रहे हैं और भाग रहे हैं। सांड और काकाजी के बीच की दूरी उतनी ही कम रह गई है कि जितनी भक्त से भगवान की होती है।
लेकिन, प्रमोद काका डर नहीं रहे हैं सिर्फ भाग रहे हैं। डर शब्द तो मुंह से निकाल नहीं सकते वो। रामलोचन बाबा का हश्र वो देख चुके हैं। तीन दिनों पहले ही रामलोचन बाबा ने सांड से डरने वाली बात कही थी। बस क्या था भरी पंचायत ने उन्हें गांव छोड़कर चले जाने को कह दिया। मुखियाजी ने तो साफ कहा था कि डरने की बात कहकर रामलोचन कमकर ने पंचायत को बदनाम कर दिया। पंचायत ने रामलोचन बाबा को आजादी गैंग का सदस्य बताया और कहा कि डर लग रहा है तो दूसरे गांव में जाकर बस जाओ। प्रमोद काका भले ही दो-चार हड्डियां तुड़वा लेंगे लेकिन ये तो कत्तई नहीं कहेंगे कि उन्हें डर लग रहा है।

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...