Friday, October 5, 2018

इनकी अयोध्या वापसी से सावधान रहिए


जिस राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी को लोकसभा में 2 सीटों वाली पर्टी से 282 सीटों वाली पार्टी तक पहुंचा दिया...वही राम मंदिर मुद्दा अब बीजेपी के लिए गले की फांस बनता जा रहा है.. अयोध्या से जुड़ा भूमि विवाद फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है और मामले की आखिरी सुनवाई शुरू होने वाली है..बावजूद इसके विश्व हिंदू परिषद की कोशिशों से इस मुद्दे पर एकजुट हुआ भारतीय संत समाज धैर्य खोता दिख रहा है.. और बीजेपी के लिए मुश्किलें ये कि यही संत समाज बीजेपी से भी भरोसा खोता दिख रहा है
      दरअसल एससी-एसटी एस्ट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के जरिए प्रावधानों में बदलाव करने वाली बीजेपी सरकार पर ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि जिस मंदिर मुद्दा को बीजेपी ने कोर चुनावी एंजेंडा बनाए रखा उसी मंदिर के लिए वो कानून क्यों नहीं बनाना चाहती..और बीजेपी की मुश्किलें ये कि वो इस मामले में अदालती प्रक्रिया के सम्मान का हवाला भी नहीं दे सकती..क्योंकि एस-एसटी एस्ट्रोसिटी एक्ट में वो अदालती आदेश को पलटने के लिए संशोधन के जरिए कानून बना चुकी है..तो मतलब साफ है कि मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी नारे चाहे जितने गढ़ ले.. ठोस कदम उठाने से बचती रही है और संत समाज इस राजनीति को समझ चुका है

    तो फिर सवाल ये भी कि जब अदालती प्रक्रिया चल ही रही है और फैसले की तारीख बेहद नजदीक दिख रही है...विश्व हिंदू परिषद और संत समाज इतना बेसब्र क्यों हो रहे हैं...और इसी सवाल के साथ ये बात भी उलझ रही है कि कहीं ये कोई चुनावी दांव तो नहीं.. क्योंकि कई राज्यों में चुनाव होने हैं.. और फिर लोकसभा चुनाव भी.. तमाम ज़रूरी मुद्दों को हाशिए पर धकेलने की कवायदें पहले से ही चल रहीं है.. ऐसे में राम मंदिर मुद्दे को ठीक से हवा दी गई तो फिर हवा के झोंके से आग भी भड़ाकाई जा सकेगी.. और भड़की आग के गुस्से में हिंदूवादी राजनीति की रोटी आसानी से सेंकी जा सकेगी..

Tuesday, October 2, 2018

अमीरों पर मेहरबान, किसान हलकान


सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े बैंक, जिनपर देश को भरोसा है अब खुद से भरोसा खोते जा रहे हैं.. पिछले चार सालों में बैंक घाटों की वजह, एनपीए ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.2014-15 में जो एनपीए 4.62 फीसदी था वही एनपीए 2017 में बढ़ कर 10.41 फीसदी हो गया.. मतलब बैंकों के 7 लाख 70 हजार करोड़ रुपये डूब गए.. और तुर्रा ये कि डूब रहे इन बैंकों को पूरी तरह से डुबाने के लिए बड़े कर्जदारों के 3 लाख 16 हजार करोड़ रुपये इन्ही बीते चार सालों में माफ कर दिए गए.. जिनके लोन माफ हुए वे लोग दुनिया भर में अपनी अमीरी के लिए जाने जाते हैं..तो फिर पिछले चार देश के कुल 10 लाख 86 हजार करोड़ रुपये किस मकसद से हवा-हवाई कर दिए गए ये न तो कोई बताना वाला है और ना ही कोई पूछने वालातो फिर उन किसानों की कौन पूछे जो एक और दो साल पहले चीनी मिलों को अपना गन्ना दे चुके हैं लेकिन अब तक उनके गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है

        बकाया पैसा मांगते-मांगते थके किसान सड़कों पर उतर गए..हरिद्वार से दिल्ली के दरवाजे पर पहुंचे किसानों को यूपी गेट पर रोक दिया गया.. तर्क था कि किसानों के दिल्ली पहुंचने से राजधानी में अराजकता फैल जाएगी.. और जिस देश में जय जवान जय किसान के नारे उछाले जाते हैं उसी देश में किसानों के सामने जवान संगीन ताने खड़े हो गए.. पानी की मार, फिर लाठी की मार सहते किसानों पर आंसू गैस छोड़े गए.. जख्मी किसानों को अस्पताल ले जाने का इंतजाम भी काफी देरी से किया गया.. यूपी गेट पर लाठियां बरसती रहीं.. और लुटियन के एक बंगले में देश के गृह मंत्री किसानों के प्रतिनिधियों से बात करते रहे.. शाम होते-होते बताया गया कि किसानों की मांगें मान ली गईं हैं..लेकिन ये दावा भी जुमला निकला..क्योंकि जब कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र शेखावत किसानों के बीच पहुंचे तो उनके पास सरकार और किसानों के बीच हुई किसी तरह की सहमति का कोई पुख्ता दस्तावेज नहीं था
       दरअसल किसान गन्ना के बकाए भुगतान की मांग कर रहे हैं..इसी के साथ कृषि कर्ज की माफी और 10 साल से ज्यादा पुराने ट्रैक्टर पर लगी रोक को हटाने की मांग भी कर रहे हैं.. लेकिन किसान न तो उन गरीबों में शामिल हैं जिनके नाम अमीरी के लिए पूरी दुनिया जानती है.. और ना ही किसान उन खास लोगों में शामिल हैं जिनके 3 लाख 16 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुपके से माफ कर दिया गया

ये बजट अहम है क्योंकि हालात बद्तर हैं

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि ये बजट देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने ये बात यूं ही नहीं कही है। वर्ल्ड बैंक के अ...