आपको याद होगा 90 का वो दौर जब कमंडल की काट के
तौर पर मंडल की सियासत को हवा दी गई थी। वो दौर जब सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के
समानांतर जातिगत समीकरण का कार्ड खेला गया था। वो दौर जब वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा कर दी थी। उस समय भी
धर्म की सियासत चरम पर थी। लेकिन वीपी सिंह ने जातिगत समीकरणों के जरिए कमंडल
आंदोलन की हवा निकालने की बिसात बिछा दी।
देश ने 2014 का आम चुनाव भी देखा। एक बार
फिर धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण देखने को मिला। देश की पूरी सियासत बस हिन्दु
मुसलमान पर आकर टिक गई थी। लेकिन गुजरात चुनावों ने जातिगत समीकरणों के जरिए 2014
के चुनावी समीकरणों को चुनौती देते हुए धर्म की रेल को डीरेल करने की कोशिश की है।
अब ये रेल डीरेल हुई है कि नहीं ये तो 18 दिसंबर को ही तय होगा। लेकिन इसमें कोई
शक नहीं कि गुजरात चुनाव में जातिगत समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। और कांग्रेस
के समर्थन का ऐलान करने वाले गुजरात की युवा त्रिमूर्ति हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के लिए ये असल परीक्षा की घड़ी है।
गुजरात में जातीय
समीकरणों का तानाबाना
हार्दिक पटेल पाटीदारों के
युवा नेता बनकर उभरे हैं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन में उन्हें समाज का भरपूर समर्थन
मिला। जबकि यही पाटीदार पिछले कई चुनावों में बीजेपी का सहारा बनते आए हैं। बीजेपी
के खिलाफ मोर्चा खोल कर हार्दिक पटेल ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गुजरात
में पाटीदार 20 फीसदी आबादी के साथ बेहद प्रभावशाली हैं।
गुजरात में ओबीसी और अल्पेश ठाकोर
अल्पेश गुजरात में युवा नेतृत्व का बड़ा चेहरा बन
कर उभरे हैं। अल्पेश ओबीसी के नेता हैं। राज्य में ओबीसी आबादी 30 फीसदी है।
अल्पेश कांग्रेस के साथ हैं और बीजेपी के लिए ये बड़े झटके से कम नहीं है।
दलितों के युवा
नेता जिग्नेश मेवाणी
गुजरात की इस युवा तिकड़ी
में तीसरा चेहरा जिग्नेश मेवाणी हैं। जिग्नेश दलितों
के युवा नेता हैं। गुजरात में दलित आबादी की हिस्सेदारी सात फीसदी है। राष्ट्रीय
दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश आजादी कूच नाम से आंदोलन खड़ा कर चुके हैं।
जिग्नेश फिलहाल कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। जिग्नेश के इस रुख से भाजपा का
संकट बड़ा हो गया है।
त्रिमूर्ति की होगी अग्निपरीक्षा
आंदोलन से सियासत की राह पकड़ने वाले गुजरात के इन
युवा नेताओं की असल परीक्षा की घड़ी आ गई है। कांग्रेस का दामन थामने वाले ओबीसी
नेता अल्पेश ठाकोर और उनके 7 समर्थकों को पार्टी ने मैदान में उतारा है। अल्पेश के
सामने खुद को और अपने समर्थकों को चुनाव जिताने के साथ-साथ ओबीसी वोट को कांग्रेस पक्ष
में करने की बड़ी चुनौती है। वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवाणी
वडगाम सीट से निर्दलीय मैदान में हैं। उन्हें कांग्रेस का समर्थन हासिल है। वहीं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के सामने बीजेपी के खिलाफ पाटीदार वोट गोलबंद करने
की चुनौती है। जाहिर है गुजरात
चुनाव के नतीजे इन तीनों का राजनीतिक भविष्य भी तय करेंगे।
No comments:
Post a Comment