Tuesday, September 25, 2018

कांग्रेस का यूपी प्लान तो नायाब निकला


चाहिए अगर सत्ता तो फेंटिए पत्ता..क्योंकि गठबंधन के दौर में जो प्रचंड बहुमत लेकर घूम रहे हैं वो भी विशाल गठबंधन का हिस्सा हैं और जो हार के हरकारे से हाहाकार कर रहे हैं वो गठबंधन का ही किस्सा हैं.. और यूपी से गुजरती दिल्ली सल्तनत वाली सड़क पर रेस में शामिल रहना है तो गठबंधन इनकी भी ज़रूरत है और उनकी भी..जो सत्ता में हैं उनके लिए गठबंधन सुविधाओं का समीकरण है और जो सत्ता के लिए जंग में उतरने वाले हैं उनके लिए गठबंधन मजबूरी का सौदा है..तभी तो बीएसपी वाली मायावती ने एक झटके में कांग्रेस को अंगूठा दिखा दिया था और सपा वाले अखिलेश कांग्रेस को भाव ही नहीं दे रहे..लिहाजा ए प्लान के धाराशायी होने की आशंकाओं के बीच कांग्रेस ने बी प्लान तैयार कर लिया है.. और खबर है कि अखिलेश से नाराज होकर सपा में दरार डालकर.. चचा शिवपाल चुनाव में चलेंगे कांग्रेस का पंजा थाम कर..

   लेकिन बात इतनी भर से बनेगी नहीं..क्योंकि सपा के यादव-मुस्लिम समीकरण में शिवपाल यादव कितनी सेंध लगा पाएंगे इसका ठीकठीक आंकलन अभी संभव नहीं है..ऐसे में कांग्रेस अकेले शिवपाल को लेकर मोर्चे पर आना नहीं चाहेगी..इसलिए प्लान बी में पश्चिमी यूपी को साधने की तैयारी भी है..और इसके लिए राष्ट्रीय लोकदल वाले हैंडपंप से वोटों के पानी का जुगाड़ करने की तैयारी है..क्योंकि सपा-बसपा गठबंधन में आरएलडी को भी बहुत भाव मिलता दिख नहीं रहा है..जाहिर है सीटों के मोलभाव में चौधरी साहब अपनी चौधराहट बरकरार रखने की पूरी कोशिश करेंगे.. और सपा-बसपा ने भाव नहीं दिया तो शिवपाल यादव से अपने पुराने रिश्तों को और गहराई देने में कोई गुरेज नहीं करेंगे...
    शिवपाल की कोशिशें कांग्रेस से गठबंधन करवा गईं तो फिर पीस पार्टी को भी न्यौता देने में किसी को कोई तकलीफ नहीं होगी..तो फिर जो नया समीकरण होगा वो कांग्रेस, शिवपाल यादव का मोर्चा, आरएलडी और पीस पार्टी का होगा.. यूपी की जातीय राजनीति की ज़मीन पर ये समीकरण नतीजे को प्रभावित करने वाला तो होगा ही.. क्योंकि सच ये है कि अब ना तो कोई लहर है और ना ही उम्मीदों के पंद्रह लखिया पंख.. तो फिर इंतजार कीजिए यूपी की बिसात पर एक नए गठबंधन का   

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