बीते गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मंदिरमार्गी हुए जनेऊधारी राहुल गांधी
कैलास भ्रमण के बाद अमेठी पहुंचे..अमेठी में राहुल गांधी का स्वागत कांवड़ियों ने
किया.. तो फिर मंदिर-मंदिर घूमती
सियासत के मायने भी तलाशे जाने चाहिए।
ऐसा पहली बार हुआ जब बीजेपी की पारंपरिक राजनीति को
कांग्रेस ने नरमी से डील करने की कोशिश की है और बीजेपी की हिंदुवादी राजनीति में
सेंध लगा दी है..जाहिर है बीजेपी को परेशान होना था..हुई भी.. और झट से मेरी शर्ट
सफेद बाकियों की गंदी वाले तर्क पर उतर आई
सॉफ्ट हिंदुत्व की ये सियासत कांग्रेस को कितना फायदा
पहुंचाएगी ये भविष्य के गर्भ में है..लेकिन बीजेपी और कांग्रेस की ये सियासत देश
को पीछे धकेलने वाली ही है.. क्योंकि मुद्दों को धकिया कर राम को आगे कर चुनाव
लड़ना बीजेपी की फितरत रही है और अब बीजेपी को काउंटर करती कांग्रेस शिव को आगे कर
चुनावी माहौल गढ़ती दिख रही है
बीजेपी की कोशिश यही भर होगी कि राहुल की शिवभक्ति या फिर
पाकिस्तान से जुड़े किसी मसले को हवा दी जाती रहे..क्योंकि राफेल से जुड़े विवाद
की हवा फैली तो बीजेपी का नुकसान तय है.. और उसे रोकने के लिए पाकिस्तान, राम मंदिर
या फिर इस किस्म के कई मसले उछालते रहना उसकी मजबूरी है.. और कांग्रेस बीजेपी की
उस जमीन पर खुद को खड़ा करने की बेचैनी में दिख रही है..जिस ज़मीन के आसरे बीजेपी
के कई नेता खुद को हिंदुवादी बताते रहे हैं.. और देश की बहुसंख्यकों की भावना को
पार्टी से जोड़ते रहे हैं
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