सिक्किम में एयरपोर्ट के उदघाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब उपलब्धियों का बखान करने लगे तो बोल गए कि मोदी सरकार में सालाना 9 नए एयरपोर्ट बने हैं। जबकि तथ्य ये है कि पिछले चार सालों में मात्र चार नए एयरपोर्ट बने हैं। ये तमाम वो एयरपोर्ट हैं जिनकी बुनियाद मनमोहन सिंह सरकार में रखी गई। नए एयरपोर्ट बनने में अमूमन 6-7 साल लगते हैं। कहने को हम कह सकते हैं कि ये तथ्यों को रखने में मोदी से हुई चूक है। लेकिन ये कहना एक बड़ी चूक होगी। क्योंकि जिस प्रधानमंत्री पद की गरिमा को लेकर हमारा देश गला फाड़ने लगता है उस गरिमा को गलत तथ्यों अथवा झूठ से नहीं बचाया जा सकता। और उस पद पर बैठा आदमी लगातार गलत तथ्य पेश करता रहेगा तो हमारे-आपके गला फाड़ने से पद की गरिमा नहीं बचेगी। जिसे कुछ लोग दुनिया में डंका बजना बता रहे हैं दरअसल वो दुनिया भर में झूठ के तौर पर देखा जाने लगा है। सिक्किम में बोला गया झूठ पद की गरिमा को लांछित करता है। और हमें ये खुलकर स्वीकारना होगा।
सिक्किम में बोला गया झूठ मोदी जी की तरफ से बोला गया पहला झूठ नहीं है। मुझे याद है कर्नाटक के कलबुर्गी में मोदी ने कहा था कि 1948 की लड़ाई के दौरान फील्ड मार्शल केएम करियप्पा और जनरल थिमय्या का नेहरू और कांग्रेस ने अपमान किया था। राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए मोदी का कर्नाटक में बोला गया ये झूठ मामूली नहीं था। सच ये है कि 1948 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना के जनरल सर फ्रांसिस बूचर थे, न कि थिमय्या और केएम करियप्पा तो नेहरू के बेहद खास थे।
कलबुर्गी के बाद भी कई बड़े झूठ बोले गए। 2013 के कई बड़े झूठ चर्चों में रहे। जुलाई 2013 में ही अहमदाबद मे मोदी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि आजादी के समय एक डॉलर की कीमत एक रूपए के बराबर थी। जबकि सच ये है कि उस समय एक रूपए की क़ीमत 30 सेंट के बराबर थी और उस समय एक रुपया एक पाउंड के बराबर था।लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन अपनी जीडीपी का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। हकीकत ये है कि चीन अपनी जीडीपी का सिर्फ 3.93 प्रतिशत ही शिक्षा पर खर्च करता है। जबकि भारत में अटल सरकार में शिक्षा पर जीडीपी का 1.6 प्रतिशत खर्च हुआ और यूपीए सरकार में 4.04 प्रतिशत। मेरठ की एक रैली में भी मोदी ने बड़ा झूठ बोला। मोदी ने कहा के 1857 की आजादी की पहली लड़ाई को कांग्रेस ने तरजीह नहीं दी। कांग्रेस की वजह से 1857 की लड़ाई कमजोर पड़ गई। मोदी का ये बयान किसी अनगढ़-अनपढ़ का बयान था या जानबूझ कर बोला गया बड़ा झूठ ये वही जानें। क्योंकि, 1857 में कांग्रेस थी ही नहीं। कांग्रेस का गठन तो 1885 में हुआ। प्रधानमंत्री पद की गरिमा की फिक्र में दुबले होते लोगों को इस बात की भी फिक्र होनी चाहिए कि उस पद पर बैठा व्यक्ति सत्ता के लिए पद की गरिमा को धूल में न मिटाए। प्रधानमंत्री ही झूठ पर झूठ बोलता जाएगा तो फिर पद की गरिमा का मतलब भी वही होगा जो स्टेशन पर लटकी बाल्टियों का होता है, जिसमें भरा तो बालू होता है लेकिन उसपर आग लिखा होता है। और वो बाल्टी पान का पीक थूकने के काम आती है।
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