गिरो, गिरो रुपये की तरह गिरो, इतना गिरो की फिर पेट्रोल की कीमतों वाली ऊंचाई
ना छू सको..गिरने के सारे रिकॉर्ड तोड़ दो..क्योंकि इस गिरावट में ही राजनीति का
फायदा है..क्योंकि आपके गिरने के स्तर से असली मसले पर मलबा पड़ जाएगा.. आप गिरने के
सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे और राफेल का सच कहीं गिर कर दम तोड़ देगा..बात शुरू हुई
थी राफेल डील में हुई गड़बड़झाले से...चोर होते हुए ये बात बेशर्मी तक पहुंच गई..
चोर और बेशर्मों की जमात बनती गई.. राफेल पर बहस का ज़रूरत खत्म होती गई
मुद्दा तो राफेल डील का
है.. जिसका प्रस्ताव अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने रखा था.. सरकार गई तो फिर
मनमोहन सरकार ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाया.. तब 126 राफेल विमानों के लिए 54 हजार
करोड़ का सौदा तय हुआ..लेकिन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की शर्त पर बात अटक गई.. मोदी
सरकार आई तो डील हो गई.. 126 की जगह महज 36 विमानों पर बात पक्की हुई लेकिन कीमतों
में भारी अंतर हो गया..तब 126 विमान 54 हजार करोड़ के थे अब महज 36 विमान 58 हजार
करोड़ के हैं.. मुद्दा तो असली यही है.. और असली मुद्दा है हिंदुस्तन एरो नॉटिकल लमिटेड
से राफेल का काम वापस लेकर अनिल अंबानी की उस कंपनी को काम देना जो डील से महज 10
दिन पहले बनी और जिसने कभी विमान का एक पुर्जा तक नहीं बनाया...लेकिन असली मुद्दे
पर बात करे कौन..सो बेशर्म होती राजनीति चोर-चोर का शोर मचाने लगी
अब हम और आप बेशर्म और चोर
के शोर में शामिल हो जाएंगे.. राफेल डील पर बात इसी शोर में दब जाएगी.. राजनीति
शोर मचावाएगी...अवाम शोर मचाएगी.. और मीडिया चोर-बेशर्म में उलझ कर असली मुद्दों
से किनारा कर लेगा.. इस देश की राजनीति को और चाहिए क्या
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