Wednesday, September 12, 2018

सवर्ण भी कोई वौट बैंक है महराज


किसे चाहिए सवर्ण वोट.. किसके पाले में है सवर्ण वोट...हिस्से-हिस्से का किस्सा है या फिर वोटबैंक के बाजार का माल है सवर्ण वोट..क्योंकि एससी एसटी एक्ट संशोधन के बाद नाराज सवर्ण मसले पर पहले पूरी खामोशी और फिर खंड-खंड में टूटती खामोशी लोकतंत्र की बुनियादी खराबी को और खराब करती जा रही है.. क्योंकि जिस बीजेपी पर सवर्णों का गुस्सा भड़का है वो बीजेपी इस मसले पर चुप्पी साधे बैठी है...और जिस कांग्रेस को सवर्णों के गुस्से से आग की उम्मीद है वो कांग्रेस सदन में एससी-एसटी संशोधन के साथ रही और और अब सदन के बाहर सवर्णों के गुस्से के साथ खड़े होने की कोशिश में है.. तो बीजेपी चुप्पी के जरिए सवर्ण सियासत का सौदा चाहती है और कांग्रेस ऊंची आवाज में मोलभाव को तैयार है.. तो फिर सवर्ण होगा किसका.. क्योंकि जिस यूपी से दिल्ली सल्तनत का रास्ता गुजरता है उस यूपी में ब्राह्मण शंख बजाएगा और हाथी चलता जाएगा की तर्ज गढ़ने की कवायद तीसरे तिजारती ने भी शुरू कर दी है..

  लेकिन जिस यूपी की दलित सियासत का सबसे बड़ा चेहरा मायावती हैं उसी यूपी में बीजेपी की सहयोगी दल RPI बीजेपी से दलित सियासत का सौदा चाहती है.. और सौदे का मसौदा सवर्ण नाराजगी के जरिए दलित गोलबंदी पर आधारित है.. क्योंकि पार्टी के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री रामदास अठावले यूपी में सीटों की हिस्सेदारी चाहते हैं..और बीजेपी के बेस वोट बैंक सवर्णों को ये समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जो कानून बन गया वो बन गया..ये कभी खत्म नहीं होगा..लिहाजा सवर्ण परिस्थितियों से समझौता कर लें

   तो सच ये है कि अभी सब बस ये आंकने में लगे हैं कि सवर्ण एकता वाला गुब्बारा उड़ेगा कितना...ऊंचाई पर पहुंचा तो टिकेगा कितना.. और सवर्ण नाराजगी के जवाब में जो गोलबंदी होगी उससे किसको कितना फायदा होगा.. तो फिलहाल राजनीति नफा और नुकसान के आंकलन में व्यस्त है..इसीलिए कोई चुप है, कोई थोड़ा कुछ बोल कर रिएक्शन का इंतजार कर रहा है

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