प्रिय बुरहान वानी,
मुझे तुम्हारे मारे जाने का दुख है। लेकिन जी कर भी तुम क्या करते सिवाय बगुनाहों के कत्ल के । दुख है कि देश का एक नवजवान पहले रास्ता भटका और अब मारा गया। चलो अच्छा ही हुआ। वैसे तुम जिंदा होते तो शायद किसी दिन ये समझ पाते कि जो रास्ता तुमने चुना वो तुम्हारे अल्लाह ताला के खिलाफ बग़ावत का रास्ता है, वो इस्लाम के ख़िलाफ बग़ावत का रास्ता है। तुम ज़िंदा होते तो शायद किसी दिन ये देख पाते कि तुम इंसानियत का दुश्मन हो गए थे, तुम अल्लाह ताला की बसाई दुनिया उजाड़ रहे थे। फिर तुम एक दिन भटके लोगों को रास्ता दिखाते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तुम उसी फौज की गोली का शिकार हो गए जिस फौज पर तुम्हें आतंकी बनाने का आरोप है। बताया जा रहा है कि तुम अपने भाई के मारे जाने के बाद बदले की भावना का शिकार हो गए। 
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    बुरहान, तुम्हारे कश्मीर से ही लाखों कश्मीरी पंडितों को उजड़ना पड़ा था। जिस वक्त वो उजड़ रहे थे उस वक्त उनकी दुनिया उजड़ रही थी। उस वक्त न जाने कितनों के भाई, पिता, बेटे मारे गए थे। क्या कोई कश्मीरी पंडित मिलिटेंट बना? वो बदला लेने निकला? नहीं न। तुम भी नहीं निकलते। जानते हो तुम क्यों मिलिटेंट बने ? तुम इसलिए मिलिटेंट बने क्योंकि कोई तु्म्हें, तुम जैसे भारतीय नवजवानों को मिलिटेंट बनाना चाहता था, आज भी चाहता है। वो लगातार हिंदुस्तानियों के खिलाफ हिंदुस्तानियों के हाथ में बंदूक थामाता जा रहा है और लगातार हिंदुस्तानियों के हाथों हिंदुस्तानियों का क़त्ल करवाता जा रहा है। तुम उसके बहकावे में आ गए। तुम्हारे जैसे हमारे हजारों नवजावन उनके बहकावे में आते रहे हैं। घाटी में ऐसे हज़ारों दलाल बेठै हैं जो तुम जैसे नवजवानों को अपने मुल्क के खिलाफ, कौम के खिलाफ और इंसानियत के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं। 
     बुरहान, कौम के नाम पर जिस शख्स ने तुम्हें हथियार उठाने के लिए उकसाया था क्या उसका बेटा बाग़ी है क्या? क्या उसने खुद हथियार उठाए हैं? क्या तुमने कभी ये जानने की कोशिश की ? क्या तुमने कभी ये सवाल पूछा कि ये लोग देखते-देखते अमीर कैसे हो गए? क्या तुमने कभी ये सोचा कि जिस सरज़मीं पर खुदा ने तुम्हे पैदा किया है तुम उसी सरज़मीं को खुदा के बंदों के खून से रंग रहे हो?
   निश्चित तौर तुमने न तो कभी ये सवालात उठाए न सोच पाए। तुम तो गोलियों में भरोसा करने लगे थे। तुम तो खुदा की बनाई दुनिया को उजाड़ने में लगे रहे। तुम तो अपने मुल्क के दुश्मनों के हाथ का खिलौना बने रहे।
   बुरहान, तुमने कभी किसी उस मां का सामना किया है जिस मां के बेटे की मौत तुम्हारी गोलियों से हुई हो? कभी उस मासूम से मिले हो जिसे तुमने यतीम किया हो? कभी उस बेवा से मिले हो जिसका शौहर तुम्हारी गोलियों का शिकार हुआ हो? 
   बुरहान, जिस इस्लाम के नाम पर तुम गोलियां बरसाते रहे उसी इस्लाम की राह पर कभी चल पाए तुम? तुम जब मारे गए उस वक्त तुमने जमकर शराब पी थी। शराब तो हराम है न? तो क्या जवाब दोगे अपने अल्लाह ताला को? 
हम तो यही दुआ करेंगे कि अल्लाह तुम्हें माफ करें।