Sunday, February 18, 2018

राजनीति जाए भाड़, होली खेलिए कुर्ताफाड़

मंडल जादो का माइंड सुन्न हो गया है। भेजा कामे नहीं कर रहा है। मझौलिया स्टेशन पर उतरते ही गुप्ताइन की दुकान पर चाय ली, सिगरेट सुलगाई और बेतिया में खरीदी हुई वही अखबार जो वो ट्रेन में पढ़ रहे थे फिर पढ़ने लगे। एक-एक अक्षर वही जो वो पहले पढ़ चुके हैं। दुकान पर तीन लोग पहले से मौजूद थे। एक मंगल भाई, पुराने समाजवादी हैं। समाजवादी आंदोलनों में कभी शामिल तो नहीं रहे लेकिन समाजवादी नेताओं के नाम तो ऐसे टपकाते हैं जैसे वैशाख में ताड़ के पेड़ से ताड़ी टपक रही हो। दूसरे हैं रंजीत गिरी। लाल झंडा ढो-ढो कर घर-बार बनवा लिया, बुलेट-बॉलेरो का इंतजाम कर लिया, फिलहाल चीनी मिल के चालान के धंधे से बिन गन्ना-बिन चीनी माल लपेट रहे हैं। भूमिहीनों को ज़मीन का पर्चा दिलवाने के नाम पर पिछले बीस सालों से चंदे काट रहे हैं। अब तो खुद खेतीहर हो गए हैं, 20 साल पहले भले ही भूमिहीन थे। अब तीसरे सज्जन का परिचय। जुबान के तीखे हैं बाकी दिल के साफ। बात-बात में साला फॉरवर्ड सब करते रहते हैं, बाकी बाबू-बबुआनों से अच्छी बनती है। उनसे ही दाल-पानी का रिश्ता है जिलदार राम का।
      मंडल जादो ने किसी से बात नहीं की। जिलदार राम ने भांप लिया बोले, का मंडल जादो कौनो टेंशन धर लिया क ? मंडल जादो कुछ जवाब देते इससे पहले मंगल भाई ने नाक धुसेड़ दी> आरे टेंशन का है, लालटेन वालों ने पूरा माल चभवाया था इस बार भइयावा को, भर मुंहे धी में डुबा लिया था जादो जीअवा। मंडल जादो ने सिगरेट की आखिरी कश ली और मुंह-नाक से ऐसे धुआं निकाला जैसे पाइपलाइन साफ कर रहे हों। साफ-सूफ करके बोला, ए भाई ई ललुआ त बड़ा इल्मी निकला हो, बैकवर्ड-बैकवर्ड करके वोट लिया आ भर परिवारे सेट कर दिया।
   रंजीत गीरी अब तक आंखें बंद कर ध्यान में थे। अचानक दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और ज्ञान चक्षु खोल कर जितना बड़ा खोल सकते थे मुंह खोला, जम्हाई ली और बोलने लगे। का गलती का किया बताइए? बेटा को डिपुटी मुखमंत्री नहीं बनाता त का आपको बनाता? आ बड़का का हेल्थे अइसा है कि उसको तो कम से कम 10 साल चाहिए हेल्थ मिनिस्टरी। मंडल भाई झुट्ठे दिमाग मत लगाइए, चुनाव में माल लपेटे न जी, मस्त रहिए, हम लोगों का चाह का पइसवा भी पेड कर दीजिए। मंडल जी से रहा नहीं गया बोले, पीजिए न महाराज जेतना चाय पीना है, बाकी ई कहां का इंसाफ है कि बैकवर्ड-बैकवर्ड करके वोट लीजिए और मंत्री बनाइए अपने दोनों बेटों को? एक बेटा को बनाते, बाकी एक सीट त कौनो बैकवर्ड नेता को देते। भर बिहार में उनको उनका दोनों बेटवे बैकवर्ड बुझाता है। ए गीरी जी हमरो नाम मंडल और बीपी बाबा के नाम भी था मंडल, बाकी ई त जान लीजिए मंगल भाई के समजवदिया सब, आपका कमनिस्टिया सब, आ हमरा मंडलवदिया सब देश को जेतना मूर्ख बनाया न ओतना त अंगरेजवनों सब नहीं बनाया। नीतीश कुमारे के देखिए, बात करते हैं समाजवाद की आ पार्टी के सब बड़का पद पर अपना जाति के लोगों को फिट किए बइठे हैं। लीजिए सिगरेट फूंकिए, आ छोड़िए राजनीति। राजनीति जाए भाड़ हमलोग होली खेलेंगे कुर्ताफाड़।

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