गांधी के गुजरात में गोधरा के कलंक का धब्बा लगा तो पूरी दुनिया में संदेश गया कि भारत का गुजरात उग्र हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बन गया है। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में दहकती आग में साबरमती के संत के संघर्ष भी धधक गए। हिंदुत्व का ऐसा उग्र स्वरूप राम मंदिर आंदोलन के दौर में भी नहीं दिखा था। तब गुजरात सहमा, अब संभलता दिख रहा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में उग्र हिंदुत्व के सामने जैसे ही नरम हिंदुत्व खड़ा हुआ बीजेपी की पेशानी पर बल पड़ने लगे। ये हिंदुत्व की सियासत को दूसरा रास्ता दिखाने का दांव था। राहुल गांधी के माथे पर तिलक, दाहिनी कलाई पर लाल और भगवा रंग के धागे और बाईं कलाई पर काले रंग का धागा। और फिर सहिष्णु हिंदू की छवि।
और फिर पंथ निरपेक्षता पर गर्व करता हिंदुत्व। और फिर इलाहाबाद के संगम तट पर मुगल शासक अकबर के बनवाए किले को स्वीकार कर आगे बढ़ता हिंदुत्व। तो जाहिर है उग्र हिंदुत्व की सोच की परेशानी बढ़नी थी। उस सोच को उन्मादी हिंदुत्व की ज़रूरत है। उस सोच को विध्वंस का आसरा है, गोधरा के बाद हुए गुजरात पर ही भरोसा है। तो उस सोच को सनातनी परंपरा के उस धागे से परेशानी होने लगी जिसे धारण कर वो गौरवान्वित होता रहा है। उसे राहुल गांधी के जनेऊ ने परेशान कर दिया। उग्र हिंदुत्व को जनेऊ से परेशानी होने लगे तो फिर इसके सियासी मतलब तो बड़े होंगे ही।
मंदिर-मंदिर घूमती सियासत के मायने भी तलाशे जाने चाहिए। हिंदुवादी सियासत की नई बिसात बिछा रही कांग्रेस विवादित मुद्दों से बचती रही और अपनी पारंपरिक राजनीति को कांग्रेस से चुनौती पाती देख बीजेपी जनेऊ से लेकर राम मंदिर के मसले को उठाती रही। हद तो ये कि मंदिर जाने से भी परेशानी होने लगी, इतनी परेशानी कि बात राहुल गांधी के नाना तक पहुंच गई.
तो कांग्रेस की रणनीति में बीजेपी उलझती दिखी। कांग्रेस ने बड़ी साफगोई से बिना कोई विवदाति मुद्दा छुए बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे में सेंध लगा ली। सेंध ही नहीं लगाई बल्कि सॉफ्ट हिंदुत्व की एक नायाब बिसात भी बिछा दी। और फिर कांग्रेस की बिसात पर बीजेपी नेताओं को उतरना पड़ा
ऐसा पहली बार हुआ जब बीजेपी की पारंपरिक राजनीति को कांग्रेस ने नरमी से डील करने की कोशिश की और उसकी बिसात पर ही अपनी डिफेंसिव चाल चल दी। हिंदुत्व की बिसात पर कांग्रेस की चाल का अंदाजा शायद बीजेपी को था नहीं। और शायद यही वजह है कि आनन-फानन में बीजेपी ने राम मंदिर मसले को किनारे लगाया और गुजरात चुनाव में पाकिस्तान का एंगल खोजा। तो गुजरात चुनाव को महज किसी राज्य का चुनाव ही मानिए लेकिन, गुजरात चुनाव में बिछाई गई कांग्रेसी बिसात को गुजरात के दायरे से बाहर भी महसूस कीजिए। सॉफ्ट हिंदुत्व का ये कार्ड उग्र हिंदुत्व से ही अपनी हिस्सेदारी अलग करेगा।