Saturday, November 11, 2017

पाक अधिकृत कश्मीर के बहाने फारुक अब्दुल्ला ने खींच दी वो झीनी चदरिया !

जम्मू-कश्मीर का तीन बार मुख्यमंत्री रहे नैशनल कॉंफ्रेंस प्रमुख और श्रीनगर से मौजूदा सांसद फारुक अब्दुल्ला के मौजूदा तीनों बयान हैरान करने वाले हैं। अब्दुल्ला ने अपने पहले बयान में कहा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पाकिस्तान का ही हिस्सा है और चाहे दोनों देश जितनी जंगें कर लें पीओके पाकिस्तान से अलग नहीं हो सकता।
आप और हम अब्दुल्ला के इन बयानों से असहमत हो सकते हैं। ये बयान देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ हैं। इन बयानों से पीओके के मसले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का पक्ष कमजोर होगा। इन बयानों से अलगाववादियों का हौसला बढ़ेगा। फारुक अब्दुल्ला वही बात बोल गए जो बात आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद या फिर जैश-ए-मुहम्मद का मुखिया मसूद अजहर बोलता है। एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री का ये बयान सकते में डालने के लिए काफी है।
    फारुक अब्दुल्ला का दूसरा बयान भी गंभीर संदेह पैदा करने वाला है। अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग देश के तौर पर पेश कर दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के तीन दुश्मन हैं। पहला पाकिस्तान, दूसरा चीन और तीसरा भारत। भारत को जम्मू-कश्मीर का दुश्मन बताने के पीछे गहरी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। कश्मीर को एक अलग देश के तौर पर पेश करने के पीछे अब्दुल्ला का निश्चित तौर पर कोई संदेहास्पद मकसद होगा। संभव है इसके पीछे गहरी साजिश हो।
शनिवार को अपनी पार्टी के मुख्यालय में फारुक अब्दुल्ला यहीं नहीं रुके। आगे उन्होंने ये तक कह दिया कि हिंदुस्तान ने जम्मू और कश्मीर के साथ छल किया है। अब इन तीनों बयानों की कड़ियों के जोड़कर देखा जाना ज़रूरी है। फारुक अब्दुल्ला के ये तीनों बयान पाकिस्तान की हुकूमतों की जुबान से मिलते-जुलते हैं। ये तीनों बयान पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की राय भी मिलते-जुलते हैं। तीन बार सूबे का मुख्यमंत्री रहे, केंद्र में मंत्री रहे और मौजूदा वक्त के सांसद को अचानक पाकिस्तान की जुबान क्यों बोलनी पड़ी सरकार को इसकी जांच करवानी चाहिए। लेकिन देश को भी अपनी सरकार और पूर्व की सरकारों से ये पूछना चाहिए कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लिए सबने किया क्या। 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर के आधे हिस्से पर कब्जा किया। 1947 से 2017 तक पाकिस्तान के अवैध कब्जे से कश्मीर को छुड़ाने के लिए भारत ने सिवाय बयानबाजी शायद ही कुछ किया हो। ये तो हर बार बताया जाता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है लेकिन ये कोई नहीं बताता कि जब वो भारत का अभिन्न हिस्सा है तो फिर उसका आधा हिस्सा अब तक पाकिस्तान में क्यों है।
फारुक अब्दुल्ला के बयानों की आलोचना की जानी चाहिए लेकिन इस सच को भी स्वीकार करना चाहिए कि वर्तमान कभी भी यथार्थ को अस्वीकार करके इतिहास नहीं बनता। और वर्तमान का सच ये है कि आधा कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है और उसे भारत का हिस्सा बनाने के लिए जुमलेबाज़ी से ज्यादा कुछ होता नहीं दिख रहा है। कहीं से ऐसी कोई उम्मीद नहीं दिख रही है जिससे ये कहा जा सके कि भविष्य में पीओके भारत के अधीन होगा। लिहाजा मौजूदा वक्त में फारुक अब्दुल्ला के बयानों के दोनों पक्षों को उजागर करना ज्यादा ज़रूरी है। इससे पहले कि फारुक अब्दुल्ला के बयानों को सांप्रदायिक रंग में डुबो दिया जाए, इससे पहले कि फारुक अब्दुल्ला के बयानों को पाकिस्तान के खिलाफ नफरत वाली चासनी में डुबो दिया जाए और इसके सियासी फायदे उठाए जाने लगें, ये ज़रूरी है कि देश ये सोचे कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को हासिल करने की हमारी योजना क्या है। क्या महज ये कह देने भर से कि कश्मीर भारत का हिस्सा है किसी दिन पाकिस्तान हमें आधा कश्मीर सौंप देगा ?
1994 में देश की संसद ने स्वीकार किया कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। 1965, 1971 और 1999 तक तीन बार दोनों देशों के बीच युद्ध भी हुए। 1965 और 1971 में कांग्रेस की सरकारें रहीं, 1999 में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार रही और 2017 में फिर बीजेपी की सरकार है। किस सरकार ने और किस दल की सरकार ने पीओके को भारत में शामिल करने की पुरजोर कोशिश की ? सच यही है कि किसी ने ऐसी कोई पुरजोर कोशिश नहीं की। तो सिर्फ फारुक अब्दुल्ला ही संदेह कटघरे में क्यों ? इस संदेह के दायरे में सबको रखना होगा।

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