Saturday, November 11, 2017

प्रधानमंत्री के नाम तीसरा खुला पत्र

               
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
आदरणीय इसलिए क्योंकि आप देश के प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले भी आपके नाम दो खुला पत्र लिख चुका हूं। ये पत्र मैं इसलिए लिखता हूं ताकि सनद रहे कि जिन कामों के लिए आपने जनता से 60 महीने मांगे थे वो काम वक्त रहते हो जाएं। 60 महीने पूरे होने में अब काफी कम वक्त बचे हैं।
   प्रधानमंत्री जी, आपने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले जो घोषणापत्र जारी किया था उसमें कहा था कि कश्मीरी पंडितों को जम्मू-कश्मीर में ससम्मान वापस बसाएंगे। सर, सरकार बने तकरीबन चार साल हो गए इन चार सालों में क्या चार कश्मीरी पंडितों को भी जम्मू-कश्मीर में बसाया जा सका ? सर, पूरे देश ने देखा कि जम्मू-कश्मीर में आपने उन लोगों के साथ सरकार बना ली जो लोग कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी के जबर्दस्त विरोधी हैं। आज तक देश को ये पता ही नहीं चला कि कश्मीरी पंडितों की पुनर्वापसी की किस योजना पर आपकी सरकार काम रही है।
    प्रधानमंत्री जी, इसी के साथ धारा 370 का मसला भी जुड़ा है। आपने घोषणापत्र में कहा था कि धारा 370 खत्म करेंगे। जम्मू-कश्मीर से जुड़ी इस धारा का विरोध भारतीय जनता पार्टी बहुत पहले से करती रही है। आपकी पार्टी का मूल नारा रहा है एक झंडा, एक संविधान, एक निशान। लेकिन देश ने जो देखा वो हैरान करने वाला था। जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के दौरान दो झंडों के बीच आपका चेहरा दिख रहा था। आप उनके साथ सरकार बनाते दिखे जो लोग धारा 370 के खांटी पक्षधर हैं और उन्हीं लोगों को आप पाकिस्तान परस्त आतंकवाद का समर्थक बताते रहे हैं। आपने ही तो बाप-बेटी को आतंकियों का समर्थक बताया था। सर, उन्हीं के साथ दो झंडों के बीच आपने सरकार बनाई और धारा 370 को भूल ही गए।
   प्रधानमंत्री जी, आपने रोजगार के अभाव में तनाव झेल रहे युवकों के लिए राष्ट्रीय युवा सलाहकार परिषद के गठन की भी घोषणा की थी। इस परिषद का भी कुछ अता-पता नहीं मिल रहा है।
   आपने कहा था कि एक राष्ट्रीय खेलकूद प्रतिभा खोज प्रणाली विकसित करेंगे। देश को आज तक ये पता नहीं चला कि आपने वो प्रणाली कहां विकसित की। किसानों की लागत पर कम से कम 50 फीसदी लाभ देने वाला आपका वादा भी अभी पूरा नहीं हुआ है। किसानों के लिए प्रदेशिक टीवी चैनल शुरू करने वाले वादे का क्या हुआ ये भी पता नहीं चला। आपने घोषणापत्र में कहा था कि पूर्व सैनिकों के लिए एक आयोग बनाएंगे। वो आयोग कहां बना ये भी पता नहीं है।
    प्रधानमंत्री जी, आपको जानने के दावे करने वाले ये बताते हैं कि आप 16-18 घंटे देश के लिए काम करते हैं। काम के इस दबाव में संभव है आप घोषणापत्र में किए गए वादे भूल गए हों या फिर उस तरफ आपका ध्यान नहीं गया हो। लेकिन इन वादों को पूरा करने के लिए आपने 60 महीने मांगे थे जो अब जल्दी ही पूरे होने वाले हैं। उम्मीद है इस बचे हुए समय में 16-18 घंटे काम करके आप अपने वादे ज़रूर पूरे करेंगे।

आपके देश का नागरिक
असित नाथ तिवारी


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