Wednesday, April 12, 2017

अब भरम रह गए

तुम न तुम रह गए,  हम न हम रह गए
अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए
साथ चलकर भी मंजिल वो पा न सके
जिनके पीछे सफर में कदम रह गए
न खुशी रह गई, न गम रह गए
तुम न दुश्मन बने, न सनम रह गए....
तुम न तुम रह गए, हम न हम रह गए
अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए
अब तो एहसासों के बस कफन रह गए
मोहब्बत में कैसे कहें क्या मिला
चंद यादों के दिल में जख्म रह गए
तुम न तुम रह गए, हम न हम रह गए

अब तो रिश्तों के खाली भरम रह गए.

1 comment:

Unknown said...

वही अंदाज़ है तेरा, वही तेवर अभी बाक़ी,,,
सफ़र में लाख हों ख़तरे, रहे ये दोस्ती बाक़ी

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