बाबर ने तुड़वा दिया मंदिर
तुड़वा
दी सीता रसोई भी
तुड़वा
दी करोड़ों लोगों की अस्था
तुड़वा
दिया राजा के न्याय का भ्रम भी
जब
टूटा होगा मंदिर तब फैली होगी दहशत
करोड़ों
लोगों की आंखों में फैली होगी वहशत
तब
हुआ होगा एहसास रियाया होने का
तब राजा
की ताक़त के सामने
जनता
की लाचारी, बेबसी साबित हुई होगी
और
फिर राजा होने के दंभ से
जब
चुनी गई होगी मस्जिद की दीवार
तब
और बड़ी हुई होगी दहशत
तब
और पसर गई होगी वहशत
ठीक
वैसे ही जैसे पसरी 6 दिसंबर 1992 को
ठीक
वैसे ही जब भीड़ की ताक़त ने
गिरा
दी थी मस्जिद बहुसंख्यक होने के एहसास के साथ
और
बताई गई अल्पसंख्यक को उसकी औकात
उसकी
डरी आंखों में देखे गए अपनी जीत के आंसू
आबादी
में उसके कम होने को समझा गया उसकी कमज़ोरी
ठीक
वैसे जैसे बाबर ने ढहाया होगा मंदिर
वैसे
ही तो गिराई थी मस्जिद भी
तो
फिर बाबर को ग़लत बताने वाले
उतने
ही ग़लत हैं जितना बाबर रहा होगा
तो
फिर बताइए आप बाबर से अलग कहां हैं
बाबर
लुटेरा था तो लुटेरा हैं आप भी
बाबर
आक्रांता था तो आक्रांता हैं आप भी
बाबर
आतातायी था तो आतातायी हैं आप भी
बाबर
नें मंदिर गिराया था तो मस्जिद गिरा गए आप भी
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