Thursday, March 23, 2017

एंटी रोमियो

60 वर्षों तक वामपंथी इतिहासकारों ने रोमियो और जूलियट की झूठी कहानी सुनाकर-सुनाकर देश को कांग्रेसियों के हाथ का खिलौना बनाए रखा। पहली बार देश में राष्ट्रवादियों की सरकार आई तो रोमियो-जूलियट की असली कहानी सामने आई। कहानी पढ़िए....
देववृंद (जिसे वामपंथियों ने देवबंद बना रखा है) नामक नगर में गोल बकर नाम के ब्राह्मण रहा करते थे। नगर के लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा गोल बकर के घर पहुंचा दिया करते और उनका आशीर्वाद लिया करते थे। ब्राह्मण और ब्राह्मणी इस नगर में बेहद खुश थे बाक़ियों के बारे पता नहीं। आनंद पूर्वक जीवन जी रहे इस जोड़े को माघ अमावस्य़ा की रात पुत्री की प्राप्ति हुई। अगली सुबह ही नगर वासियों को कह दिया गया कि गोल बकर पंडित के घर संतान उत्पति की खुशी में नगर में भोज का आयोजन होना चाहिए। नगर वासियों ने जिसके घर में जो था वो सब एक जगह जमा किया और भोज का आयोजन किया। खाना बन ही रहा था कि इसी बीच 4 साल का एक बच्चा आया और इलायची के पौधे से एक इलायची तोड़कर खीर में डाल कर दौड़ने लगा। नगरवासी परेशान हो गए। बच्चे ने न आचमन किया, न शुद्धीकरण और इलायची खीर में डाल दी। बात गोल बकर तक पहुंची। गोल बकर ने बच्चे को शाप दिया कि एक दिन ये बच्चा द्वेष, वैमनस्य के लिए तरसेगा और प्रेम के महाजाल में फंस जाएगा। धीरे-धीरे दिन बीतते गए। खीर में इलायची डालने वाले बच्चे का नाम रोमियो रखा गया और इधर गोल बकर ने अपनी बेटी का नाम जूलियट रखा। पांच साल की उम्र में ही जूलियट ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण सीख लिया और 9 साल का रोमियो फूलों और तितलियों के बीच अपना समय बर्बाद करता रहा। लेकिन ज्यों-ज्यों दोनों बड़े होते गए दोनों के बीच दोस्ती बढ़ती गई। जूलियट पूजा-पाठ के लिए रोज़ाना रोमियो को बाग़ में फूल तोड़ने लगी। दोनों पहले बाग़ में खेलते-कूदते थे फिर खुद रोमियो अपने हाथों लगाए पौधों से फूल तोड़ कर जूलियट को दे देता था। धीरे-धीरे नगर में ये बात पसरने लगी कि ब्राह्मण गोल बकर की बेटी एक मामूली लड़के के साथ खेलती-कूदती है। जब ये बात गोल बकर तक पहुंची तो उन्होंने बेटी के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी। लेकिन दोनों की गहरी रोस्ती खत्म नहीं हुई। रोमियो एक पेड़ की टहनी पर चढ़ जाता था और जूलियट खिड़की से उसे देखा करती थी। गोल बकर ने खिड़की हटवा कर वहां दीवार चुनवा दी। अब रोमियो गीत गाने लगा और तितलियों के ज़रिए संदेशा भिजवाने लगा। जैसे ही जूलियट की मां उसे खाना देने के लिए घर का दरवाज़ा खोलती एक फतिंगा घर में दाखिल हो जाता और रोमियो का संदेशा पहुंचा जाता। गोल बकर बेहद परेशान रहने लगा। रोमियो के संहार के लिए वो तपस्या करने लगा। एक दिन जब वो खा-पीकर ताड़ के पेड़ के नीचे तपस्या कर रहा था तभी एक सियार वहां पहुंचा। सियार ने परेशान ब्राह्मण को देखा और बोला हे ब्राह्मण तुम नदी उस पार बसे बकलोलपुरी जाओ। वहां महाबली साबर बकर रहते हैं। उनके बल का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि एक बार वो सूर्य को अपनी जेब में रख कर फरार हो गए थे। इतना ही नहीं प्रशांत महासागर को पूरी तरह से पी गए थे। हिमालय पर्वत को तो अपनी अंगूठी का नग बनाकर पहन लिया था। तुम उन्हीं के पास जाओ वही इस रोमियो नाम के प्रेम प्राणी का संहार कर दुनिया में घृणा भाव की रक्षा करने में सक्षम है। गोल बकर चल पड़े। महाबली साबर बकर ने गोल बकर की पीड़ा सुनी तो आहत हो गए। एक तो अपनी जाति का मामला और दूसरा प्रेम जैसा अपराध। महाबली चल पड़े। अपनी पूरी घृणा सेना के साथ उन्होंने रोमियो पर हमला कर दिया। आज भी ये युदध जारी है। महाबली की घृणा सेना को रोमियो प्रेम से जवाब दे रहा है।

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