Friday, July 20, 2018

ये झप्पी दूर तलक जाएगी


तो राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जादू की झप्पी दी...और फिर पीएम की पीठ थपथपाई... इसके तुरंत बाद मोदी ने उन्हें दोबारा अपने पास बुलाया..एक बार फिर राहुल को गले लगाया और इस बार पीएम ने राहुल की पीठ थपथपाई..तो ये कोई भरत मिलाप नहीं था...ये सियासी अदा थी.. और अदा ये कि राहुल ने अपने ऐक्शन से ये साबित करने की कोशिश की कि बीजेपी भले ही राहुल से नफरत करती हो..राहुल सबको गले लगाते हैं...मतलब ये कि बीजेपी भले ही राहुल को पप्पू मानती हो..राहुल विरोधियों का भी सम्मान करते हैं...मतलब ये कि कांग्रेस मोहब्बत की राजनीति करती है..और बीजेपी नफरत की राजनीति करती है
      तो राहुल का ये सियासी दांव कांग्रेस को ऑक्सीजन दे गया.. क्योंकि राहुल गांधी को ये खूब पता था कि अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष चाहे जो कर ले, सरकार को खतरे में नहीं ला पाएगा..पूरा विपक्ष इस अंकगणित को जान रहा था...विपक्ष तो बस वो मौका चाह रहा था जिस वक्त सत्ता और विपक्ष की ताकत देश के सामने ला सके.. इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष ने ये साबित कर दिया कि शिव सेना और बिजू जनता दल भले ही विपक्ष के साथ नहीं हों लेकिन सदन में ये सत्ता पक्ष के साथ भी नहीं हैं... बहस के दौरान वॉक आउट होते ही बीजेपी इस सियासत को भांप गई थी..वरना जिस राफेल डील के मसले पर सरकार सबकुछ ठीक होने के दावे कर रही है...उस राफेल मसले पर वो जवाब की बारी का इंतजार करती, तिलमिलाती नहीं..  
     तो जादू की झप्पी से लेकर पप्पू तक अविश्वास प्रस्ताव का सच ये है कि कांग्रेस ने इसमें भले ही लीड रोल नहीं किया हो लेकिन स्क्रिप्ट का सबसे महत्पूर्ण हिस्सा अपने लिए सुरक्षित रखा था...टीडीपी को आगे कर कांग्रेस ने सियासी आंख मारी और हार-जीत की जंग से खुद को बाहर रखा

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