Wednesday, July 18, 2018

मॉब लिंचिंग: भरभराते लोकतंत्र की तस्वीर


भीड़ के जरिए खड़े किए गए भय के माहौल के सामने सिस्टम कैसे भरभरा कर गिर रहा है उसकी गवाही झारखंड के पाकुड़ में मंगलवार को दिखी...तकरीबन 70 साल के बुजुर्ग स्वामी अग्निवेश भरभराकर नीचे गिरे और भीड़ उनपर टूट पड़ी...ये घटना जिस वक्त हुई उससे ठीक कुछ घंटों पहले देश की सबसे बड़ी अदालत ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त कानून बनाने की जरूरत बताई थी..लेकिन भीड़ की अदालतों ने कब कानूनी अदालतों को मान्यता दी है जो तब देते...और दें भी क्यों... 2015 में नोएडा के दादरी में भीड़ की अदालत ने अखलाक को सजा-ए-मौत दी थी...अखलाक के हत्यारों में से 15 आरोपियों को तब एनटीपीसी की संविदा नौकरी ऑफर की गई थी..मतलब भीड़ में शामिल होकर हत्या करो और नौकरी पाओ... 1 अप्रैल 2017 को अरवल में पहलू खान को गौगुंडों ने पीट-पीट कर मारा डाला..यहां भी हत्यारों को महिमामंडित करने का अभियान चलाया गया.. इसी साल 22 जून को दिल्ली-बल्लबगढ़ में ट्रेन में मोहम्मद जुनैद को भीड़ ने मार डाला था... हत्यारों का तब स्वागत किया गया था.. जून 2017 में ही झारखंड के रामगढ़ में अलीमुद्दीन की हत्या भीड़ ने कर दी थी...हत्या का आरोपी जब जेल से बाहर निकला तो केंद्र सरकार के मंत्री जयंत सिन्हा ने माला पहना कर उसका स्वागत किया... तो फिर भीड़ की शक्ल में किसी की हत्या से कोई डरे क्यों...और फिर सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव का मतलब भी क्या समझें... उन्हीं लोगों से सख्त कानून बनाने की उम्मीद की जा रही है जो हत्यारों को गले लगाते हैं..या फिर नौकरी ऑफर करते हैं..
          हाल ही में कर्नाटक में सॉफ्टवेयर इंजीनियर आजम उस्मानसाब की हत्या भीड़ ने की है.. जून 2018 में झारखंड के गोड्डा में सिराजुद्दीन अंसारी और मुर्तजा अंसारी की भीड़ ने लाठी-डंडों से पीट कर हत्या कर दी..इससे पहले सूबे के खरसांवां में भीड़ ने तीन लोगों की हत्या की थी... महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल, कर्नाटक देश का कोई भी राज्य इस हिंसक भीड़ को रोकने में सक्षम साबित नहीं हुआ...भीड़ की हिंसा का सबसे ज्यादा कहर उत्तर प्रदेश में बरपा...सर्वाधिक घटनाएं यूपी में ही हुईं..और अब उस लोकसभा को मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़े कानून बनाने हैं जिस लोकसभा बैठे नेताजी हत्यारे को फूल माला पहनाते हैं
        राहत इंदौरी का एक मतला है लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है..तो अब आग फैल रही है...कल तक गले में भगवा डाले जो भीड़ दाढ़ी और टोपी पर हमले किया करती थी अब वही भीड़ ऊपर से नीचे तक भगवा धारण किए स्वामी अग्निवेश को भी अपनी आग में झुलसा रही है.. हिंसक समाज के आसरे राजनीति की रोटी सेंकने वाले भी एक दिन इस आग की चपेट में आएंगे.. और हां हालात नहीं बदले तो फिर भीड़ की इन आदालतों से किसी दिन देश की सर्वोच्च अदालत का भी इंसाफ हो जाएगा

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