पिछले कई वर्षों में केसरिया या भगवा रंग के तिकोने झंडे को हिंदू धर्म
ध्वजा के तौर पर स्थापित करने की कोशिशें की जा रही हैं। खास कर राष्ट्रीय स्वयं
सेवक संघ और उसके आनुषांगिक संगठन लोगों को यही समझाते रहते हैं कि भगवा झंडा ही
हिंदू धर्म ध्वजा है। ये अज्ञानतावश किया जा रहा हो ऐसा कत्तई नहीं है। संघ परिवार
से जुड़े लाखों लोग काफी पढ़े-लिखे और धर्म के जानकार लोग हैं। मतलब उन्हें अच्छी
तरह से ये मालूम है कि सिर्फ भगवा रंग का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। तो
फिर भगवा को धर्म ध्वजा के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों का मतलब क्या है ? दरअसल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के
झंडे का रंग भगवा है और उसी झंडे को हिंदू धर्म ध्वजा के तौर पर संघ परिवार
प्रचारित करता रहा है।
सच ये है कि सनातन हिंदू धर्म की अपनी
कोई खास ध्वजा है ही नहीं। हिंदू धर्म की कई शाखाएं हैं। वैष्णव, शैव, स्मार्त, शाक्य और वैदिक संप्रदायों का मिश्रण
ही हिंदू धर्म है। इनमें शैव संप्रदाय का प्रतीक नंदी ध्वज है। वैष्णव संप्रदाय
गरुण ध्वज को धर्म ध्वजा मानता है। शक्त संप्रदाय दो तरह के ध्वज को धर्म ध्वजा
मानता है। शक्त संप्रदाय के अनुसार सिंह ध्वजा और चंद्र ध्वजा धर्म का प्रतीक हैं।
युद्धों में ध्वजा का इस्तेमाल भी
अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार हुआ है। महाभारत में युधिष्ठिर के रथ पर स्वर्ण ध्वज
की बात लिखी गई है। बताया गया है कि युधिष्ठिर के पास सोने के समान चमकने वाली, सोने की रंग वाली ध्वजा थी। अर्जुन के
पास लाल रंग की वानर ध्वजा थी। रणभूमि में कुल 8 प्रकार के झंडों का इस्तेमाल होता रहा
है। ये झंडे जय, विजय, भीम, चपल, वैजयन्तिक, दीर्घ, विशाल और लोल हैं।
जय झंडा लाल रंग का होता है। ये झंडा
विजय की कामना के लिए लहराया जाता है। विजय झंडा सफेद रंग का होता है। युद्ध में
जीत के बाद विजय झंडा लहराया जाता था। इसी तरह भीम ध्वज हल्की लालिमा वाला झंडा
होता है। चपल ध्वज पीले रंग का होता है जबकि, वैजयंतिक ध्वज कई रंगों का सम्मिश्रण
होता है। दीर्घ ध्वज नीले रंग का होता है और विशाल ध्वज धारीदार होता है। लोल ध्वज
कृष्ण वर्ण का होता है।
ये तमाम ध्वजाएं हिंदू धर्म ध्वजाएं
हैं। इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग देवी-देवताओं को अलग-अलग रंग के
वस्त्र और झंडे पसंद हैं।
मतलब भगवा रंग ही हिंदू धर्म का प्रतीक
रंग है या फिर भगवा झंडा ही हिंदू धर्म की धर्म ध्वजा है ये बात न सिर्फ झूठ है
बल्कि किसी एक संगठन के जरिए खड़ा किया गया प्रोपेगंडा भी है।
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