तुफैल अहमद भारत के बड़े पत्रकारों में गिने जाते हैं। तुफैल अहमद उन बड़े नामों में भी शामिल हैं जो एक्स मुस्लिम हैं। एक्स मुस्लिम शब्द धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों में पसरता जा रहा है। ब्रिटेन की सारा की कहानी जब दुनिया के सामने आई तो एक्स मुस्लिम शब्द पर पहले ज्यादा गौर किया जाने लगा। सारा ने ये कह कर दुनिया को चौंका दिया था कि मुस्लिम रहते आपका जीवन आपका नहीं होता वो मुफ्ती-मौलानाओं का हो जाता है। सारा ने कहा था कि इस्लाम में डर पैदा कर लोगों को मजहब से जोड़े रखा जाता है, इसलिए उन्होंने इस्लाम छोड़ दिया और नास्तिक हो गईं।
पिछले पांच सालों में एक्स मुस्लिम शब्द पूरी दुनिया में पहुंच चुका है। यूरोप के देशों और अमेरिका में बजाप्ता एक्स मुस्लिम के संगठन बनने लगे हैं और वो एक-दूसरे की मदद करने लगे हैं। एक ब्रिटिश अखबार दी इंडिपेंडेंट ने तो एक्स मुस्लिम कौंसिल के संस्थापक मरयम नमाज़ी का इस मुद्दे पर इंटरव्यू तक छाप दिया था। मरयम नमाज़ी ने कहा था कि इस्लामिक देशों में मजहब से अलग होने पर मौत की सज़ा देने का कानून है, लिहाजा लोग चाह कर भी धर्म नहीं छोड़ पाते। नमाज़ी ने अखबार को दिए अपने बयान में कहा था कि इस्लामिक देश एंटी-अपोस्टसी (मज़हब-त्याग) और एंटी-ब्लासफेमी (ईश-निंदा) कानून हटा दें तो मुस्लिम धर्म छोड़ने की सुनामी आ जाए।
भारत में भी एक्स मुस्लिम शब्द विस्तार पाने लगा है। ये लोग खुद को नास्तिक या फिर एक्स मुस्लिम बताना पसंद करते हैं। दिल्ली में जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और एनजीओ संचालक खुर्शीद अनवर की मौत के बाद उनके शव को जलाया गया था। उनके परिजनों के मुताबिक वो एक्स मुस्लिम थे और उनकी इच्छा थी कि उनके शव को जलाया जाए, दफनाया नहीं जाए। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले डॉ जफर ने इस्लामी कट्टरवाद विषय पर पीएचडी करने के बाद इस्लाम से दूरी बना ली और अब वो एक्स मुस्लिम हो गए हैं। वो कहते हैं कि ऐसा भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ही संभव है। वो आगे कहते हैं कि किसी इस्लामिक देश में धार्मिक आज़ादी के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता।
जयपुर में कानून की पढ़ाई कर रहीं आमना बेगम ने कहा कि मदरसों में जाहिल मौलवी भरे पड़े हैं और इस्लाम में खौफ भरा हुआ है। कोलकाता के अली मुंतजर भी एक्स मुस्लिम हैं। उनका मानना है कि जिस मजहब के नाम पर दुनिया भर में कत्ल-ओ-गारत हो रही हो वो मजहब भला किसी को स्वर्ग-नर्क क्या पहुंचाएगा। अली मुतंजर पूछते हैं कि आईएसआईएस जैसे कातिल संगठन किसी और मजहब में हैं क्या ?
इसी तरह के सवाल सुल्तान शाहीन भी खड़े करते हैं। सुल्तान शाहीन एक सुधारवादी वेबसाइट न्यू एज इस्लाम के संपादक हैं। शाहीन कहते हैं कि भारत में एक्स मुस्लिम को समर्थन देने वाला कोई संगठन नहीं है और ना ही ऐसा कोई आंदोलन यहां चल रहा है जो लोगों को मानसिक तौर पर इस्लाम छोड़ने को तैयार कर रहा हो। लेकिन, शाहीन ये जरूर मानते हैं कि लोग एक्स मुस्लिम शब्द को जान चुके हैं और वैसे लोगों का स्वागत करने लगे हैं।
जाहिर तौर पर भारत जैसे धर्म परायण देश में एक्स मुस्लिम शब्द कौतूहल पैदा करता है। इससे ज्यादा कौतूहल का विषय है इस्लाम से दूर हो रहे लोगों में बहुत कम लोग ही हिंदू या बौद्ध धर्म अपना रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग नास्तिक समाज का हिस्सा बनना पसंद कर रहे हैं।
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