Wednesday, January 31, 2018

कासगंज दंगा: वो, जो चाहते हैं कि आपका बच्चा चंदन बने

कासगंज दंगे के बाद सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों से अपील की जा रही है कि चंदन गुप्ता की हत्या का बदला लिया जाए। चंदन गुप्ता वही नवजवान था जिसकी हत्या 26 जनवरी को सांप्रदायिक उन्माद के दौरान की गई। इस हत्या के बाद बीजेपी सांसद राजवीर सिंह ने बेहद भड़काऊ बयान दिया। राजवीर सिंह ही नहीं पार्टी से जुड़े कई नेता भड़काऊ बयान देने के लिए मंचों पर पहुंच गए। कई हिंदूवादी, और मुस्लिम संगठन अभी भी बदले की भावना भड़का रहे हैं। इन बयानों और सोशल मीडिया पर चल रहे पोस्ट पर ग़ौर करने की ज़रूरत है। इन्हें नजरअंदाज करना ख़तरनाक हो सकता है। क्योंकि आप नजरअंदाज करके निकल भी गए तो संभव है आपके परिवार का कोई सदस्य इस भड़काऊ बयान या पोस्ट का शिकार हो जाए। ऐसे ही बयानों, पोस्ट और मीठे ज़हर का शिकार चंदन गुप्ता भी हुआ होगा। इसलिए ज़रूरी है कि आप सावधान रहें। सिर्फ सावधान ही नहीं रहें इनसे सवाल भी पूछें। पूछिए कि क्या राजवीर सिंह अपने बच्चों, भाइयों, रिश्तेदारों के हाथों में पत्थर थमाकर उन्हें उन्मादी बनाएंगे। अगर हां तो फिर अब तक उन्हें सामने लेकर क्यों नहीं आए ? और अगर नहीं तो फिर आपके बच्चों के सीने पर गोली चलवा कर वो सत्ता का सुख क्यों भोगेंगे ? उनके बच्चे, भाई, रिश्तेदार अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और आपके बच्चों को बदला लेने के लिए उकसाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वालों से भी पूछिए कि क्या वो अपने बच्चों को हाथों में पत्थर थमाकर भेज रहे हैं ?
    दरअसल ये सवाल बेहद महत्वपूर्ण हैं। ये सवाल आप खुद से पूछिए। आप क्यों दूसरों का मोहरा बनते जा रहे हैं ? जिस कथित राष्ट्रवाद के नाम पर आपके दिमाग में नफरतें भरी जा रही हैं वो राष्ट्रवाद है भी या नहीं ये भी खुद से पूछिए। जिस हिंदूवाद के नाम पर आपके दिमाग में ज़हर घोला जा रहा है वो हिंदूवाद है या फिर किसी की सत्ता की चाबी ये सवाल भी खुद से पूछिए।

  क्योंकि जिस हिंदूवाद, राष्ट्रवाद के नाम पर चंदन की लाश बिछाई गई उस हिंदूवाद, राष्ट्रवाद के नाम पर आम आदमी के हिस्से हर बार बर्बादी के क़िस्से ही आए हैं। अब तक जितनी भी बस्तियां जलाई गईं वो आम आदमी की ही थीं। इस कथित हिंदूवाद, राष्ट्रवाद के नाम पर अब तक जितनी आबादी बेघर हुई है वो आम आदमी की ही थी। अब तक जितनी लाशें गिराई गईं हैं वो सब आम आदमी की ही थीं। आम आदमी के हिस्से आई ये बर्बादी किसी और के लिए सत्ता का सुख लेकर आई। इसलिए ये ज़रूरी है कि इस दौर में खुद से और उन लोगों से भी, जो भावनाओं को भड़काने में महारत रखते हैं इस किस्म के सवाल पूछे जाएं। और हां, अपने बच्चों, परिवार, रिश्तेदार और समाज को चंदन बनने से बचाने की पूरी कोशिश कीजिए क्योंकि, उनकी पूरी राजनीति किसी चंदन या किसी पहलू खान की हत्या पर ही टिकी है। उनकी सत्ता की भूख मिटाने के लिए अपने कलेजे के टुकड़ों की बलिदानी मत दीजिए। 

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