Sunday, December 10, 2017

गुजरात चुनाव: राहुल के सवाल और भारतीय जनता पार्टी की चुप्पी

धीरे धीरे गुजरात चुनाव का घमासान अपने अखिरी पड़ाव की ओर पहुंच रहा है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने गुजरात चुनाव के लिए अपनी सारी ताकत झोंक रखी है। लेकिन, राहुल गांधी के लिए ये चुनाव बेहद अहम हैं क्योंकि, अब राहुल के सामने चुनौतियां भी यहीं से खड़ी होती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस गुजरात चुनाव जीते या हारे लेकिन फिलहाल राहुल गांधी वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती देते नज़र आ रहे हैं। राहुल के नेतृत्व की वजह से अगर गुजरात चुनाव में कांग्रेस को 75-85 सीटें मिल गईं तो यकीनन राहुल एक नेता के रुप में उभरेंगे। हांलाकि, अभी से किसी की जीत या हार का अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी क्योंकि, राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता। जहां एक ओर मोदी हमेशा खुद की छवि को गुजराती अस्मिता से जोड़ने की तमाम कोशिशें कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर राहुल खुद जनता के बीच जाकर उन्हें अपनेपन का एहसास करवा रहे हैं। राहुल गुजरातियों को यकीन दिला रहे हैं कि वो भले ही बाहरी राज्य से आए हैं लेकिन गुजरातियों ने उन्हें अपने ही रंग में रंग दिया है। इस बार गुजरात में कांग्रेस किसी दबी हुई या हारी हुई पार्टी की तरह चुनाव नहीं लड़ रही है बल्कि कई मोर्चों पर राहुल बीजेपी पर हावी होते नजर आ रहे हैं। राहुल लगातार बीजेपी पर सवालों के मिसाइल दाग रहे हैं। राहुल ट्विटर पर हैशटैग गुजरात मांगे जवाब के जरिए 22 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं।
राहुल गांधी के 9 सवाल
  1. घर देने में 45 साल लगेंगे
राहुल गाधी ने अपना पहला सवाल दागते हुए बीजेपी से पूछा था...
‘2012 में वादा किया कि 50 लाख नए घर देंगे। 5 साल में बनाए 4.72 लाख घर। प्रधानमंत्री जी बताइए कि क्या ये वादा पूरा होने में 45 साल और लगेंगे?'

2.गुजरातियों पर 37,000 रुपए का कर्ज क्यों?
राहुल गांधी ने कर्ज के मुद्दे पर दूसरा सवाल बीजेपी से पूछा.। राहुल ने ट्वीट पर लिखा
'1995 में गुजरात पर कर्ज- 9,183 करोड़, 2017 में गुजरात पर कर्ज- 2,41,000 करोड़, यानी हर गुजराती पर 37,000 रुपए का कर्ज। आपके वित्तीय कुप्रबन्धन और पब्लिसिटी की सजा गुजरात की जनता क्यों चुकाए?'
  1. बिजली कंपनियों को क्यों पहुंचाया फायदा ?
राहुल गांधी ने बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने को लेकर बीजेपी पर तीसरा सवाल दागा '2002-16 के बीच 62,549 करोड़ की बिजली खरीदकर 4 निजी कंपनियों की जेब क्यों भरी? सरकारी बिजली कारखानों की क्षमता 62 फीसदी घटाई, लेकिन निजी कंपनी से 3रुपए/ यूनिट की बिजली 24 रुपए तक भाव पर क्यों खरीदी? जनता की कमाई क्यों लुटाई?’
  1. सरकारी शिक्षा पर खर्च में गुजरात पीछे क्यों?
राहुल ने चौथा सवाल शिक्षा के मुद्दे पर पूछा
‘सरकारी शिक्षा पर खर्च में गुजरात देश में 26वें स्थान पर क्यों? युवाओं ने क्या गलती की है?'
5-महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य
राहुल गाधी ने पांचवा सवाल पूछा और इस बार महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य का मुद्दा उठाया
‘न सुरक्षा, न शिक्षा, न पोषण,महिलाओं को मिला तो सिर्फ शोषण, आंगनवाड़ी वर्कर और आशा, सबको दी बस निराशा। गुजरात की बहनों से किया सिर्फ वादा, पूरा करने का कभी नहीं था इरादा।’
6-लोगों को क्यों मिल रही है कम सैलरी ?
राहुल गाधी ने बीजेपी से छठा सवाल किया और पूछा,
'एक तरफ युवा बेरोजगार, दूसरी तरफ लाखों फिक्स पगार और कांट्रैक्ट कर्मचारी बेजार। 7वें वेतन आयोग में 18,000 रुपए मासिक वेतन की अनुशंसा के बावजूद फिक्स और कांट्रैक्ट पगार 5500 रुपए और 10,000 रुपए क्यों?'
7-‘बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई’
राहुल गांधी ने सातवें सवाल में महंगाई का मुद्दा उठाया और लिखा,
‘जनता को जुमलों की बेवफाई मार गई, नोटबंदी की लुटाई मार गई, GST सारी कमाई मार गई, बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई।’
8-स्वास्थ्य का मुद्दा
आठवें सवाल में राहुल गांधी ने स्वास्थ्य का मुद्दा उठाया. उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा,
‘39% बच्चे कुपोषण से बेजार, हर 1000 में 33 नवजात मौत का शिकार, चिकित्सा के बढ़ते भाव, डॉक्टरों का घोर अभाव। भुज में 'मित्र' को 99 साल के लिए दिया सरकारी अस्पताल, क्या यही है आपके स्वास्थ्य प्रबंध का कमाल?’
9- किसानों की कर्जमाफी
राहुल गांधी ने 9वां सवाल किसानों की कर्जमाफी को लेकर पूछा है...
न की कर्ज़माफ़ी, न दिया फसल का सही दाम, मिली नहीं फसल बीमा राशि, न हुआ ट्यूबवेल का इंतजाम, खेती पर गब्बर सिंह की मार, छीनी जमीन, अन्नदाता को किया बेकार, PM साहब बतायें, खेडुत के साथ क्यों इतना सौतेला व्यवहार?
राहुल गांधी इन सवालों के जरिए पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से किए गए चुनावी वादों की याद दिला रहे हैं। राहुल सोशल मीडिया के जरिए बीजेपी पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं और राहुल के इन सवालों के जवाब बीजेपी की तरफ से नहीं मिल रहे हैं। जाहिर है गुजरात का रण दिलचस्प मोड़ पर है और फिलहाल नतीजों का अनुमान लगाना संभव नहीं है।

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