Tuesday, September 8, 2015

एक अदद सीएम उम्मीदवार चाहिए



बिहार में बीजेपी को है मुख्यमंत्री की तलाश

संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं के मुताबिक चुनाव में जीतकर गए सांसद सदन में अपना नेता चुनते हैं...विधायक अपना नेता..लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री उम्मीदवार का नाम घोषित कर नई परंपरा की शुरुआत कर दी.. अब यही परंपरा उसके गले की हड्डी बन गई है..बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर बहस तेज हो गई है...जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस नेता लगातार उसपर हमलावर हैं..तीनों पार्टियां लोगों को ये समझाने में लगी हैं कि बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं है इसिलिए पार्टी मुख्यमंत्री उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं कर रही है.. बताया जा रहा है कि नाम के एलान के बाद पार्टी में गुटबाजी तेज हो जाएगी और चुनाव पर इसका सीधा असर पड़ेगा...विपक्ष के इस हमले का जवाब बीजेपी अपने तरीके से जरुर दे रही है..लेकिन बीजेपी के साथ चल रही आरएलएसपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए उपेंद्र कुशवाहा का नाम आगे सरकार कर बीजेपी को जरुर सकते में डाल दिया.. एनडीए में भले ही इस मसले पर आम सहमति जैसी स्थिति नहीं हो लेकिन बीजेपी को अब लगने लगा है कि मसले पर आम सहमति जरुरी है..केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इशारा किया है कि पार्टी मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम का एलान कर सकती है...उनके इस इशारे के मायने-मतलब निकाले जा रहे हैं....लेकिन इसे पार्टी के अंदरखाने को टटोलने की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है.. प्रदेश बीजेपी में भी इस मसले पर आम राय नहीं बन पाई है.. इस बीच चर्चा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के किसी विश्वस्त के नाम पर मंथन चल रहा है.. ये नाम चर्चाओं में नहीं है लिहाजा पूरी गोपनीयता बरती जा रही है.. हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर का नाम भी अचानक उभरा था और शीर्ष नेतृत्व के सामने तमाम विरोध ठंडे पड़ गए थे..बताया जा रहा है कि बिहार में बीजेपी यही प्रयोग दोहराने की फिराक में है

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