मुद्दों की मारामारी के बीच नोएडा के सेक्टर 63 में चाय बेचने वाले विनोद, छाया और पूजा ने अपनी परेशानियों को बयां किया तो लगा कि आप तक इनकी बातें पहुंचाई
जानी चाहिए... चायवालों को अयोध्या के साथ जोड़ दिया जाए तो अभी चैनल के दफ्तर के
बार पार्टी प्रवक्ताओं की भीड़ लग जाएगी और हर प्रवक्ता इस मसले पर ज्यादा से
ज्यादा बोलने लगेगा...लेकिन चाय वालों की पीड़ा पर अब कौन बोले.. चाय पर चर्चा तो
बीते सियासी वक्त की बात हो गई है
जानी चाहिए... चायवालों को अयोध्या के साथ जोड़ दिया जाए तो अभी चैनल के दफ्तर के
बार पार्टी प्रवक्ताओं की भीड़ लग जाएगी और हर प्रवक्ता इस मसले पर ज्यादा से
ज्यादा बोलने लगेगा...लेकिन चाय वालों की पीड़ा पर अब कौन बोले.. चाय पर चर्चा तो
बीते सियासी वक्त की बात हो गई है
यही हाल किसानों का
है..मीडिया के हिंदू-मुस्लिम चरित्र के बावजूद किसानों को अभी लगता है कि न्यूज चैनल
पर उनकी बात आ जाए तो उनकी समस्याएं खत्म हो जाएंगी.. यो भरोसा अगर है तो इसका
स्वागत है..गावों में जाकर देखिए अनाज और आदमी दोनों छितराए हुए हैं... न तो दाम
मिल रहा है और ना ही काम.. 2014 से लेकर
2015 के बीच तक चाय वालों पर किस्म-किस्म के कार्यक्रम न्यूज चैनलों पर दिखाए
गए..क्या चाय वालों की हालत बदली...नहीं न...तो अब अलाव पर चर्चा की तैयारी
है..उत्तर प्रदेश में जहां चीनी मिल मालिकों पर गन्ना किसानों का सबसे ज्यादा बकाया
है और जिस पश्चिमी यूपी के किसान कुछ दिनों पहले ही दिल्ली की सल्तन से दंगल कर
चुके हैं अब उन लोगों के साथ बीजेपी अलाव पर चुनावी चर्चा करेगी...इस अलाव पर
सियासी रोटियां तो सेंकी जा सकेंगी लेकिन क्या किसानों की स्थिति भी बदलेगी...चाय
वालों की कहानी हमारे सामने है..
सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए ये मुद्दे एक दूसरे की निंदा करनेहै..मीडिया के हिंदू-मुस्लिम चरित्र के बावजूद किसानों को अभी लगता है कि न्यूज चैनल
पर उनकी बात आ जाए तो उनकी समस्याएं खत्म हो जाएंगी.. यो भरोसा अगर है तो इसका
स्वागत है..गावों में जाकर देखिए अनाज और आदमी दोनों छितराए हुए हैं... न तो दाम
मिल रहा है और ना ही काम.. 2014 से लेकर
2015 के बीच तक चाय वालों पर किस्म-किस्म के कार्यक्रम न्यूज चैनलों पर दिखाए
गए..क्या चाय वालों की हालत बदली...नहीं न...तो अब अलाव पर चर्चा की तैयारी
है..उत्तर प्रदेश में जहां चीनी मिल मालिकों पर गन्ना किसानों का सबसे ज्यादा बकाया
है और जिस पश्चिमी यूपी के किसान कुछ दिनों पहले ही दिल्ली की सल्तन से दंगल कर
चुके हैं अब उन लोगों के साथ बीजेपी अलाव पर चुनावी चर्चा करेगी...इस अलाव पर
सियासी रोटियां तो सेंकी जा सकेंगी लेकिन क्या किसानों की स्थिति भी बदलेगी...चाय
वालों की कहानी हमारे सामने है..
भर के लिए हैं मगर कोई भी ठोस प्रस्ताव जनता के बीच नहीं रखता है कि वाकई क्या
करने वाला है, जो कर रहा है वो क्यों चूक जा रहा है. कई बार लगता है कि हमारे
राजनेता, हमारे अर्थशास्त्री, सिस्टम में बैठे लोगों ने ज़िद कर ली है कि इन
बुनियादी सवालों पर बात नहीं करना है, मीडिया को हर रात कोई न कोई थीम मिल जाता है, सब कुछ इसी थीम की
तलाश के लिए हो रहा है. इसके बाद भी भारत के भीतर से तस्वीरें उथला कर सतह पर आ जा
रही हैं...जवान जहां खड़े थे वहां से पीछे धकले जा
रहे हैं और किसान जहां पड़े थे वहीं पड़े दिख रहे हैं.. बस सियासत की अलाव पर सब भुने जा रहे हैं
1611 BIG BULL WITH ASIT NATH
https://www.youtube.com/watch?v=UzpkYKotYxM
No comments:
Post a Comment