Tuesday, June 20, 2017

प्रेम बीज भर है

 बीते इन सालों में
तुमने मुझे थोड़ा-थोड़ा भुलाया होगा
फिर भी कहीं किसी कोने में
मैं थोड़ा सा बचा रहा होऊंगा
मन के सिमटते अलापों में
उस थोड़े से मुझ को तुमने गुनगुनाया होगा
मेरे आदि को, मेरे अंत को
मेरी यादों के अनंत को कहीं बचाया होगा, कहीं छुपाया होगा
ये जो प्रेम है न वो बीज है
थोड़ी नमी पाकर ही अंकुरित होता है
बीते उन सालों में जो मुझे भुलाने में गुजरे होंगे
तुमने हर मोड़ पर मुझे पाया होगा
बस ये मत पूछना कि बीते उन्हीं सालों को
मैने कैसे बिताया होगा



....19-06-17....कानपुर

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