प्रियवर तब बादल बरसे
थे
पहले मन में हुमड़ रहे थे
हृदय पटल पर घुमड़ रहे थे
अंखियन सम्मुख अंधेरा था
मीत मिलन को हम तरसे थे
प्रियवर तब बादल बरसे थे
पहले मन में हुमड़ रहे थे
हृदय पटल पर घुमड़ रहे थे
अंखियन सम्मुख अंधेरा था
मीत मिलन को हम तरसे थे
प्रियवर तब बादल बरसे थे
बरसे थे बन करुण वेदना
जागृत करने तरुण चेतना
समृतिवन को सींच-सींच कर
बीते पल की पुनर्याचना
आंखों से झर-झर झरते थे
प्रियवर तब बादल बरसे थे
मह-मह मिट्टी महक रही थीजागृत करने तरुण चेतना
समृतिवन को सींच-सींच कर
बीते पल की पुनर्याचना
आंखों से झर-झर झरते थे
प्रियवर तब बादल बरसे थे
चह-चह चाहें चहक रही थीं
आहों का अविरल प्रवाह था
साधें सारी धधक रही थीं
पावक में पंछी झुलसे थे
प्रियवर तब बादल बरसे थे
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