Tuesday, August 11, 2020

राहत इंदौरी मतलब भारत की मिट्टी पर जम्हूरियत के रंग

 मशहूर गीतकार और मकबूल शायर राहत इंदौरी के निधन की खबर से उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है...भारत के अलावा दुनिया के उन सभी देशों में जहां उर्दू और हिंदी बोली-समझी जाती है, राहत इंदौरी समान रूप से लोकप्रिय थे...कोरोना संक्रमित होने के बाद इंदौरी साहब को दिल का दौरा पड़ा और वो हम सबको छोड़कर चले गए...इस मशहूर शाहकार को उसके लिखे गीतों और उसी की शायरी से श्रद्धा-सुमन अर्पित 

   क्या पेंटर, चले गए न...एक घबराई हुई शाम को जिगर ने झटका दिया और तुमने अलविदा कह दिया.. ना पेंटर..अभी जाने का नई...तुम्हीं ने बोला था न..अभी जाने का नई.. ये तो धोखा है पेंटर...हमने तो ये सोचा ही नहीं था कि हथेली पर जान लेकर चलते-चलते हमें सफर में छोड़ जाओगे ( हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है...शायरी)  रंग अधूरे छूट गए पेंटर..तस्वीर पूरी बनी ही नहीं और तुमने तूलिका छोड़ दी.. कैसे छोड़ दी तूलिका तुमने पेंटर...याद है जब पेट ने ललकारा था, भूख ने तड़पाया था तब तूलिका पकड़ी थी तुमने..इंदौर की दुकानों पर आज भी तुम्हारे बनाए साइन बोर्ड इतराते हैं पेंटर...इन्हें भी छोड़कर चले गए तुम...अपनी पहचान को इंदौर की पेशानी पर छोड़कर इंदौर की मिट्टी में जाकर लेट गए तुम (मैं जब मर जाऊं, मेरी पहचान...शायरी) बहुत कुछ लिखना बाकी रह गया...जैसे कॉलेज में ऊर्दू पढ़ाने की कहानी...पेंटर का सर बनने की कहानी...तूने तो एक झटके में किस्सा तमाम कर दिया ( खुद भी पागल हो गए तुमको भी पागल कर दिया ) किस्से न बड़े प्यारे होते हैं..जैसे किसी शायर की ग़ज़ल, किसी सुखनवर की संगत..जैसे गुलाब को गुमान नहीं होता है अपनी खुशबू का..और ना ही इतराती है कोयल अपनी आवाज पर...वैसे ही सर, आपको पता ही नहीं था कि आप क्या चीज हैं हिंदुस्तान के लिए (तुम सा कोई प्यारा, कोई मासूम नहीं है) कितनी मासूमियत से हमें तन्हा कर गए सर..जब सज-धज कर तैयार हुई मुशायरे की महफिल..जब बजनी थीं तालियां...ठीक उसी वक्त बहारों को ग़म में बदल दिया सर आपने ( हम अपने ग़म को सजाकर बहार कर लेंगे) चुपके-चपके गए हो सर..ये चीटिंग है सर...सबेरे ही ट्वीट किया और शाम को चोरी से निकल गए (चोरी-चोरी नजरें मिलीं)... जानते हो सर...जब आप गए न...तब श्याम रंग गहरा हो रहा था...भारत श्याम की बर्थ नाइट सेलिब्रेट करने की तैयारियों में था...(बुमरो-बुमरो, श्याम रंग बुमरो).....हमें पता है सर....डॉक्टरों ने बहुत कोशिशें की होंगी आपकी धड़कनों को प्यार की झप्पी देने की...बहुत कोशिशें की होंगी...( एम बोले तो मास्टर में मास्टर) डॉक्टरों ने रोका होगा सर...ज़रूर रोका होगा आपके दिल को बंद होने से...(दिल को हजार बार रोका रोका रोका) लेकिन जाने वो कैसा चोर था...राहत को चुरा गया  (जाने वो कैसा चोर था दुपट्टा चुरा गया...). नहीं पेंटर, नहीं सर...हमें छोड़कर भला कैसे जा सकते हैं राहत इंदौरी... हिंदुस्तान की माटी पर अपनी तूलिका से जम्हूरियत और कौमी एकता के रंग भरने वाला शायर भला हमसे जुदा कैसे हो सकता है... इसी मिट्टी में शामिल है, इसी मिट्टी में रहेगा...राहत न मरा है अभी...राहत न मरेगा...सलाम राहत साहब..सलाम... (उसे कहो मैं मरा नहीं हूं) ...

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